हथियार की बरामदगी न होना हत्या के मामले को अविश्वसनीय नहीं बना सकता: कलकत्ता उच्च न्यायालय

हथियार की बरामदगी न होना हत्या के मामले को अविश्वसनीय नहीं बना सकता: कलकत्ता उच्च न्यायालय

हथियार की बरामदगी न होना हत्या के मामले को अविश्वसनीय नहीं बना सकता: कलकत्ता उच्च न्यायालय
Modified Date: November 8, 2025 / 01:13 pm IST
Published Date: November 8, 2025 1:13 pm IST

कोलकाता, आठ नवंबर (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हत्या के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि हत्या में इस्तेमाल हथियार की बरामदगी न होना अभियोजन पक्ष के मामले को अविश्वसनीय नहीं बना सकता क्योंकि मुकदमे में साक्ष्यों के आधार पर अपराध की पुष्टि हो चुकी है।

अदालत ने 1999 के हत्या के एक मामले में तीन व्यक्तियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि करते हुए यह टिप्पणी की।

उसने कहा कि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ताओं पर लगाए गए आरोपों को ठोस सबूतों की मदद से साबित करने में पर्याप्त रूप से सक्षम रहा।

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न्यायमूर्ति देबांगसु घोष और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा, ‘‘इस प्रकार हमें दोषसिद्धि और सजा के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं दिखता। हम इसकी पुष्टि करते हैं।’’

अदालत ने कहा कि चूंकि मामले में पेश किए गए सबूतों से यह साबित हो चुका है कि पीड़ित की हत्या की गई थी इसलिए ‘‘अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियार की बरामदगी न होना और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप का न होना अभियोजन पक्ष के मामले को अविश्वसनीय या झूठा नहीं ठहरा सकता।’’

खंडपीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में घटना के कम से कम तीन प्रत्यक्षदर्शी गवाह हैं।’’

श्रीदाम घोष नामक व्यक्ति अपने दो भाइयों के साथ 19 जून, 1999 को गंगा नदी में एक यांत्रिक नाव में यात्रा कर रहा था तभी याचिकाकर्ता धनु घोष और उसके दो साथी पूर्व बर्धमान जिले के केतुग्राम में नाव पर चढ़ गए।

केतुग्राम पुलिस थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, धनु श्रीदाम के पास गया और उसने एक ‘पाइप गन’ से उस पर गोली चला दी तथा बाकी दो आरोपियों ने उसे बढ़ावा दिया।

तीन आरोपियों – धनु घोष और उसके दो सहयोगियों – को गिरफ्तार कर लिया गया और फरवरी 2022 में कटवा के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

भाषा सिम्मी प्रशांत

प्रशांत


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