श्रीनगर, 27 अप्रैल (भाषा) नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने से जुड़ी याचिकाओं को ग्रीष्मावकाश के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का बुधवार को स्वागत किया और भारत के प्रधान न्यायाधीश से इसकी सुनवाई फास्ट-ट्रैक (त्वरित) आधार पर करने का अनुरोध किया।
अब्दुल्ला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम ग्रीष्मावकाश के बाद पीठ गठित करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। हम समझते हैं कि कोविड-19 के कारण याचिका को जल्दी सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता था , लेकिन अब हम प्रधान न्यायाधीश से इसकी त्वरित सुनवाई करने का अनुरोध करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगस्त, 2019 से कई बदलाव हुए हैं, जो नहीं होने चाहिए थे। और देरी होने का मतलब होगा कि इन बदलावों को पलटा नहीं जा सकेगा।’’
केन्द्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त कर दिया और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो संघ शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया।
अब्दुल्ला ने उक्त बातें पार्टी मुख्यालय में नेकां के युवा नेताओं से बातचीत के दौरान कहीं।
यह पूछने पर कि क्या बैठकें जम्मू-कश्मीर चुनाव से जुड़ी हैं, नेका उपाध्यक्ष से कहा कि इनका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं युवाओं से मिल रहा हूं ताकि जान सकूं कि वे क्या सोचते हैं और उनकी क्या दिक्कतें हैं।’’
परिसीमन समिति की की रिपोर्ट के संबंध में सवाल करने पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी ने समिति को बता दिया है कि उसका अस्तित्व ही गैरकानूनी है।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमने परिसीमन समिति के समक्ष कहा है कि उसका अस्तित्व गैरकानूनी है। हमने परिसीमन कानून को चुनौती दी है, जिसका अर्थ है कि परिसीमन आयोग को भी चुनौती दी गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम चाहते हैं कि त्वरित सुनवाई हो और अदालत का फैसला आए।’’
उन्होंने कहा कि नेकां ने समिति को कई सलाह भी दिए लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘जो हो गया, सो हो गया। अब अंतिम रिपोर्ट आने दें उसके बाद आपसे विस्तृत चर्चा की जाएगी।’’
बारामुल्ला के एक विशेष स्कूल में शिक्षकों द्वारा हिजाब नहीं पहनने को कहे जाने संबंधी खबरों पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसमें स्कूल गलत है।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘इस देश में सभी को अपना धर्म मानने की आजादी है। यह हमारे संविधान में लिखा है कि हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं, जिसका अर्थ है कि सभी धर्म समान हैं। मुझे नहीं लगता है कि किसी सरकार को इससे छेड़छाड़ करनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे खतरे से खेलने से देश के लिए समस्या खड़ी हो सकती है। हम चाहेंगे कि ऐसे फैसले ना लिए जाएं। सभी पंथों के लोग अपना-अपना धर्म मानने के लिए आजाद हैं।’’
कर्नाटक में हाल ही में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर हुए विवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि कर्नाटक को जम्मू-कश्मीर में लाने का प्रयास यहीं रोक दिया जाएगा।’’
अब्दुल्ला ने कहा कि बारामुल्ला स्कूल द्वारा इस फैसले के पक्ष में दिया गया तर्क उचित नहीं है।
भाषा अर्पणा उमा
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