‘कश्मीर फाइल्स’ पर रमेश ने कहा: राजनेता मरहम लगाते हैं, प्रचारक भय का दोहन करते हैं

‘कश्मीर फाइल्स’ पर रमेश ने कहा: राजनेता मरहम लगाते हैं, प्रचारक भय का दोहन करते हैं

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  • Publish Date - March 19, 2022 / 06:42 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:03 PM IST

नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि राजनेता घाव पर मरहम लगाते हैं, लेकिन ‘प्रचारक’ बांटने एवं राज करने के लिए भय का दोहन करते हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘कुछ फिल्में बदलाव के लिए प्रेरित करती हैं। ‘कश्मीर फाइल्स’ नफरत को भड़काती है। सच्चाई से न्याय, पुनर्वास, सुलह और शांति की तरफ बढ़ा जा सकता है। दुष्प्रचार से तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा जाता है, आक्रोश को बढ़ाने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए इतिहास को विकृत किया जाता है।’’

पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश ने कहा, ‘‘राजनेता घाव पर मरहम लगाते हैं। प्रचारक भय और पूर्वाग्रह का दोहन बांटने एवं राज करने के लिए करते हैं।’’

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा, ‘‘कश्मीरी पंडितों को बहुत पीड़ा झेलनी पड़ी। हमें उनके अधिकारों के लिए खड़े होना चाहिए। परंतु, कश्मीरी मुसलमानों को गलत ढंग से पेश करने से कश्मीरी पंडितों को मदद नहीं मिलेगी। नफरत बांटती है और मारती है। कश्मीरियों को न्याय की जरूरत है। सभी को सुना जाए, मदद की जाए और मरहम लगाया जाए।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा कि इस फिल्म को लेकर राजनीतिक विवाद की गुंजाइश नहीं है।

उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘1990 में कश्मीर में बर्बरतापूर्ण अत्याचार घटित हुआ। जिस तरीके से कश्मीरी पंडितों को चुन-चुन करके मारा गया, नरसंहार हुआ, महिलाओं पर अत्याचार हुये, उनको अपने घर-गांव, अपनी उस प्यारी मातृभूमि को छोड़ना पड़ा, जिसकी स्मृतियां आज भी उनके मानस में अंकित हैं। कश्मीर फाइल्स, उसका एक कथानक है, इस पर राजनीतिक विवाद की गुंजाइश नहीं है।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैं उस समय संसद में था और हमने निरंतर इन घटनाओं को उठाया‌। तत्कालीन गवर्नर जगमोहन जी की गलत नीतियों, तत्कालीन केंद्र सरकार, जिसमें मुफ्ती मोहम्मद सईद गृह मंत्री थे, उनकी ऐतिहासिक भूलों पर बहुत कुछ कहा गया। दुर्दांत आतंकवादियों को छोड़ा गया। वी.पी. सिंह जी की सरकार थी, भारतीय जनता पार्टी का उस सरकार को समर्थन हासिल था।’’

रावत के मुताबिक, ‘‘मुझे याद है कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से चुनौती देते हुए कहा गया था कि आप ऐसी निकम्मी सरकार, जो कश्मीरी ब्राह्मणों के नरसंहार को नहीं रोक पा रही है, उससे समर्थन वापस ले लीजिये। समर्थन तो कालांतर में भाजपा ने वापस ले लिया, लेकिन जब मंडल कमीशन के जवाब में कमंडल उठाने की आवश्यकता पड़ी, तो मंडल-कमंडल की लड़ाई के लिये भाजपा ने तत्कालीन सरकार से समर्थन वापस लिया।’’

भाषा हक हक दिलीप

दिलीप