उच्च न्यायालय के निर्देश पर पुलिस ने अंतरधार्मिक युगल को पेश किया
उच्च न्यायालय के निर्देश पर पुलिस ने अंतरधार्मिक युगल को पेश किया
प्रयागराज, 18 अक्टूबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में पुलिस ने उस अंतरधार्मिक जोड़े को शनिवार को अदालत में पेश किया जिन्हें 15 अक्टूबर को अदालत परिसर छोड़ने के बाद हिरासत में ले लिया गया था।
किसी निर्देश या आदेश के बगैर युगल को हिरासत में लिए जाने को अदालत ने अवैध हिरासत करार लिया और निर्देश दिया कि अंतरधार्मिक युगल- शाने अली और रश्मि को तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाए।
उक्त निर्देश के साथ अदालत ने कहा, “लड़की बालिग है और पुलिस या उसके पिता द्वारा उसे हिरासत में नहीं लिया जा सकता। स्पष्ट तौर पर पक्षकारों द्वारा हिरासत में लेना अवैध था और इससे लड़की और प्रथम याचिकाकर्ता (पुरुष) के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।”
न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति दिवेश चंद्र सामंत की पीठ ने युगल को रिहा करने का निर्देश देते हुए कहा कि लड़की उस पुरुष के साथ कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है।
अदालत ने अंतरधार्मिक युगल को पेश करने वाले अलीगढ़ के अकराबाद थाना के जांच अधिकारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दोनों को उनके गंतव्य तक सुरक्षा दी जाए।
अदालत ने कहा, “यह दलील कि लड़की को ‘वन स्टॉप सेंटर’ पर रखना पड़ा और जिस व्यक्ति के साथ वह रहना चाहती है, उसे क्षेत्र में सामाजिक दबाव के चलते थाने में रखा गया यह स्वीकार्य नहीं है और उक्त व्यक्तियों को हिरासत में रखने को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।”
अदालत ने कहा, “पुलिस या राज्य के अधिकारी केवल कानून के तहत किसी व्यक्ति को हिरासत में ले सकते हैं। सामाजिक दबाव में और बिना कानूनी अधिकार के हिरासत में लेना अवैध है। कानून के शासन वाले एक लोकतांत्रिक देश में राज्य सरकार और इसकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से एक नागरिक की स्वतंत्रता की रक्षा की उम्मीद की जाती है ना कि सामाजिक दबाव में आने की।”
पीठ ने कहा, “लड़के और लड़की की स्वतंत्रता की रक्षा करने के अपने दायित्व का निर्वहन करने में विफल अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए।”
इससे पूर्व, अदालत के निर्देश पर उच्च न्यायालय की विशेष पीठ के समक्ष अंतरधार्मिक युगल को पेश किया गया। यह पीठ खासतौर पर इस मामले के लिए शनिवार को बैठी।
अदालत ने प्रयागराज के पुलिस आयुक्त, अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को अंतरधार्मिक युगल की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देते हुए कहा कि युगल के एक साथ रहने में कोई अतिरिक्त कानूनी बाधा नहीं है।
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 28 नवंबर तय करते हुए अलीगढ़ के एसएसपी को जांच रिपोर्ट के साथ अदालत के समक्ष पेश होने का भी निर्देश दिया।
यह रिट याचिका 27 सितंबर 2025 को दर्ज प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध के साथ युगल द्वारा दायर की गई थी। यह प्राथमिकी लड़की के पिता द्वारा अलीगढ़ के अकराबाद थाने में दर्ज कराई गई थी।
इससे पूर्व, 17 अक्टूबर को उच्च न्यायालय को बताया गया कि 15 अक्टूबर को अदालत परिसर छोड़ने के बाद अंतरधार्मिक युगल का लड़की के पिता और पुलिस द्वारा अपहरण कर लिया गया जिसके बाद अदालत ने पुलिस को युगल को पेश करने का निर्देश दिया था।
भाषा सं राजेंद्र नोमान
नोमान

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