बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ने के फैसले पर विपक्षी दलों ने केंद्र पर साधा निशाना |

बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ने के फैसले पर विपक्षी दलों ने केंद्र पर साधा निशाना

बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ने के फैसले पर विपक्षी दलों ने केंद्र पर साधा निशाना

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : October 14, 2021/11:04 pm IST

नयी दिल्ली/कोलकाता, 14 अक्टूबर (भाषा) पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा के भीतर, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के फैसले पर केंद्र की कड़ी आलोचना करते हुए कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह राज्य के अधिकारों का ‘अतिक्रमण’ और देश के संघीय ढांचे को कमजोर करने की मंशा से किया गया है।

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह राष्ट्र हित में उठाया गया है और इसका उद्देश्य मादक पदार्थों, हथियारों और गायों की तस्करी को रोकना है। विपक्षी द्वारा की जा रही आलोचना को उन्हें ‘बेवजह का हल्ला’ बताया।

केंद्र सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) कानून में संशोधन कर इसे पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से मौजूदा 15 किलोमीटर की जगह 50 किलोमीटर के बड़े क्षेत्र में तलाशी लेने, जब्ती करने और गिरफ्तार करने की शक्ति दे दी है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में 11 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की।

कांग्रेस ने केंद्र के इस कदम को देश के संघीय ढांचे पर हमला करार दिया और कहा कि यह चुनी हुई सरकारों के अधिकारों को खत्म करने का प्रयास है। वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने इस अधिसूचना को वापस लेने की मांग की और कहा कि यह कदम उससे विचार-विमर्श किए बगैर उठाया गया।

दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने केंद्र के कदम को ‘तानाशाही पूर्ण’ बताया और कहा कि राज्यों की पुलिस के अधिकार क्षेत्र को घटाने से पहले इस बारे में उनसे बात की जानी चाहिए थी।

पंजाब में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के विरोध प्रदर्शन के दौरान पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल समेत कुछ नेताओं को पुलिस ने उस समय थोड़ी देर के लिए हिरासत में ले लिया, जब उन्होंने राज्यपाल के आवास की ओर मार्च करने की कोशिश की।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी सरकार ने एक बार फिर देश के संघीय ढांचे पर हमला किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर देश में चुनी हुई सरकारों के अधिकारों को खत्म करने का प्रयास किया है। इस निर्णय से मोदी जी ने एक बार फिर ये दिखाया है कि इस देश में अब तानाशाही का शासन चलेगा।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘मोदी सरकार और भाजपा का पंजाब में राजनीतिक अस्तित्व खत्म हो चुका है, इसलिए उस खत्म हुए राजनीतिक अस्तित्व को तलाशने के लिए कांग्रेस की चुनी हुई सरकार के अधिकारों पर हमला बोला जा रहा है।’’

तृणमूल कांग्रेस ने केन्द्र से इसे वापस लेने की मांग करते हुए दावा किया कि पश्चिम बंगाल सरकार के साथ विचार-विमर्श किए बगैर यह फैसला किया गया है।

पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘हम इस फैसले का विरोध करते हैं, यह राज्य के अधिकारों में अतिक्रमण है। राज्य सरकार को सूचित किए बिना बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करने की तुरंत क्या जरूरत पड़ी। यदि बीएसएफ को कहीं पर तलाशी लेनी है तो वह राज्य पुलिस के साथ मिलकर ऐसा हमेशा ही कर सकता है। वर्षों से यही चलता आ रहा है। यह संघीय ढांचे पर हमला है।’’

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने आरोप लगाया कि सीमावर्ती गांवों में मानवाधिकारों को लेकर बीएसएफ का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र और गृह मंत्री अमित शाह राज्यों को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। सीमावर्ती गांवों में मानवाधिकार के मामले में बीएसएफ का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा नहीं है।’’

कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष अधीर चौधरी ने आगाह किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस कदम के ‘दुष्परिणामों’ का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ राज्यों में सीमा से 50 किलोमीटर तक बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार करना राज्यों के क्षेत्र में खुलेआम उल्लंघन करना है। गृह मंत्रालय आपको कोई छेड़खानी नहीं करना चाहिए अन्यथा दुष्परिणामों का सामना करना पड़ेगा।’’

प्रदेश भाजपा महासचिव शायंतन बसु ने आरोप लगाया, ‘‘तृणमूल सरकार सीमापार से घुसपैठ और तस्करी को रोकने में विफल रही है। तृणमूल कांग्रेस इस कदम का विरोध वोट बैंक के तुष्टीकरण के लिए कर रही है।’’

भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पंजाब के कांग्रेस नेता केंद्र के फैसले का विरोध आखिर क्यों कर रहे हैं? उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘बीएसएफ को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के 50 किलोमीटर के भीतर तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी करने की शक्तियां देने का फैसला राष्ट्रीय हित में है। यह हथियारों, मादक पदार्थों और गायों की तस्करी पर रोक लगाने में मददगार होगा।’’

केंद्रीय मंत्री एवं पंजाब से भाजपा सांसद सोम प्रकाश ने कहा कि पंजाब के कांग्रेस नेता इस कदम का विरोध कर रहे हैं जो बड़ी ही हैरानी की बात है क्योंकि उनकी तो मांग ही यही थी।

भाजपा नेता अमित मालवीय ने बुधवार को ट्वीट करके कहा कि पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ को तलाशी और जब्ती का अधिकार देने पर बेवजह का हल्ला मचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गुजरात और राजस्थान में भी यही व्यवस्था है।

शिअद ने आरोप लगाया कि पुलिस ने चंडीगढ़ में बादल और राजभवन के बाहर हुए प्रदर्शन में शामिल कुछ पार्टी समर्थकों के साथ मारपीट और धक्का-मुक्की की।

पुलिस ने कहा कि शिअद नेताओं और समर्थकों को उस समय कुछ देर के लिए हिरासत में लिया गया, जब वे राजभवन की ओर मार्च कर रहे थे।

हालांकि, शिअद ने एक बयान में कहा कि बादल को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बस में बिठाकर सेक्टर 3 पुलिस थाने ले जाया गया।

पार्टी नेताओं बिक्रम सिंह मजीठिया और दलजीत सिंह चीमा के साथ मौजूद बादल ने कहा कि अकाली पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से मिलना चाहते हैं और उन्हें अवगत कराना चाहते हैं कि केंद्र का ”संघीय ढांचे पर हमले” का कदम ठीक नहीं है।

भाषा

वैभव देवेंद्र

देवेंद्र

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)