नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद बिनय विस्वम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि ‘राजभाषा पर संसदीय समिति की 11वीं रिपोर्ट’ अन्य भाषाओं की तुलना में हिंदी को अनावश्यक महत्व देती है जो आपत्तिजनक है।
वामपंथी नेता ने यह आरोप भी लगाया कि रिपोर्ट की सिफारिशें ‘विभाजनकारी और खतरनाक’ प्रवृत्ति की हैं जिससे ‘भारत के विचार’ को अपूरणीय क्षति होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं ‘राजभाषा पर संसद की समिति की 11वीं रिपोर्ट’ के खिलाफ अपनी कड़ी आपत्तियां जता रहा हूं जिसमें हिंदी को भारत की सबसे अधिक प्रभुत्व वाली भाषा बनाने के लिए अनावश्यक महत्व दिया गया है। विविध भाषाओं के देश में अन्य भाषाओं को अलग-थलग करते हुए हिंदी को थोपना अत्यंत आपत्तिजनक है और संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यताप्राप्त 21 अन्य आधिकारिक के महत्व को खतरा है।’’
विस्वम ने कहा, ‘‘रिपोर्ट का केंद्रीय मर्म ‘हिंदुस्तान के लिए हिंदी’ है जो भारत की विविधता को सिरे से खारिज करता है और शिक्षण संस्थानों से लेकर सार्वजनिक कार्यालयों तक केंद्र सरकार के सभी संस्थानों में हिंदी को थोपने की सिफारिश करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह का कदम अनुचित तरीके से गैर-हिंदी भाषी छात्रों को उनकी शिक्षा प्राप्त करने से प्रभावित करेगा जिनकी आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में बड़ी संख्या है।’’
भाषा वैभव माधव
माधव
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