आरएसएस के कार्यक्रम में आईयूएमएल नेता की भागीदारी से पार्टी नेतृत्व नाराज

आरएसएस के कार्यक्रम में आईयूएमएल नेता की भागीदारी से पार्टी नेतृत्व नाराज

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  • Publish Date - June 22, 2022 / 05:36 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

कोझिकोड/मलप्पुरम (केरल), 22 जून (भाषा) आईयूएमएल के नेता एवं पूर्व विधायक केएनए खादर के हाल में यहां आरएसएस द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक बैठक में भाग लेने से विवाद पैदा हो गया है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस पर खुलकर नाराजगी जताने के साथ ही इसे ‘पार्टी विरोधी’ गतिविधि करार दिया है।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के नेताओं ने दो बार विधायक रहे खादर के स्पष्टीकरण के बावजूद उनके बैठक में शामिल होने को गंभीर बताया है।

खादर ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बैठक नहीं थी, बल्कि केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम था।

आईयूएमएल के वरिष्ठ नेता पी के कुन्हालीकुट्टी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि लीग का कोई भी नेता कभी भी आरएसएस द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कभी शामिल नहीं हुआ। वहीं, आईयूएमएल के एक अन्य दिग्गज एम के मुनीर ने कहा कि यह पार्टी की नीतियों के खिलाफ है और आलाकमान इस पर चर्चा करेगा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुन्हालीकुट्टी ने कहा कि जैसे ही यह मामला संज्ञान में आया, खादर से स्पष्टीकरण मांगा गया और पार्टी मंच पर इस पर चर्चा की जाएगी।

दार्शनिक और जाने-माने वक्ता खादर को मंगलवार को यहां केसरी भवन में आयोजित सांस्कृतिक बैठक ‘स्नेहबोधि’ में सम्मानित किया गया, जिसमें जे नंदकुमार सहित आरएसएस के वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

खादर न केवल आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल हुए, बल्कि अपने भाषण के दौरान उन्होंने प्रसिद्ध गुरुवायूर श्रीकृष्ण मंदिर में प्रवेश करने की अपनी इच्छा को भी नहीं छिपाया।

आरएसएस के समारोह में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि मैं गुरुवायूर मंदिर के अंदर कब प्रवेश कर पाऊंगा। मुझे देश के उत्तरी हिस्सों में कई मंदिरों में जाने का सौभााग्य प्राप्त हुआ, लेकिन गुरुवायूर में श्रीकृष्ण मंदिर में प्रवेश करने में असमर्थ रहा।’

खादर अपने भाषणों के लिए जाने जाते हैं जिन्होंने कई बार उपाख्यानों का हवाला देते हुए हिंदू मूल्यों और परंपराओं की प्रशंसा की है।

वेंगारा के पूर्व विधायक खादर 2021 के विधानसभा चुनाव में गुरुवायूर निर्वाचन क्षेत्र से हार गए थे। उन्हें अपनी टिप्पणियों के लिए पूर्व में भी मुस्लिम संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा है।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव