नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर (भाषा) भारत में कुछ लोगों पर नजर रखने के लिए स्पाईवेयर पेगासस के इस्तेमाल के आरोपों में जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने की अनुमति देने की केंद्र का अनुरोध ठुकराते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा, ‘‘न्याय केवल होना नहीं चाहिए, होते हुए दिखना भी चाहिए’’।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई पूर्वाग्रहों के खिलाफ तय न्यायिक सिद्धांतों का उल्लंघन करेगी।
मामले में जांच करने के लिए तीन सदस्यों की विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि सात बाध्यकारी परिस्थितियों में अदालत को आदेश जारी करना पड़ा जिनमें यह भी शामिल है कि केंद्र या राज्य सरकारें नागरिकों को अधिकारों से कथित रूप से वंचित करने में पक्ष हैं।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक बाध्यकारी परिस्थिति यह थी कि नागरिकों के निजता और बोलने की आजादी के अधिकार प्रभावित होने के आरोप हैं जिनकी पड़ताल जरूरी है।
कथित पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर अपने 46 पन्नों के आदेश में शीर्ष अदालत ने यह बात कही।
भाषा
वैभव अनूप
अनूप
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)