नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम, 2008 के तहत आरोपियों या पीड़ितों की अपीलों को केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए कि 90 दिन से अधिक की देरी को माफ नहीं किया जा सकता।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अधिनियम की धारा 21(5) की वैधता को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की समय सीमा से संबंधित है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘आरोपी या पीड़ितों द्वारा दायर अपील इस आधार पर खारिज नहीं की जाएगी कि 90 दिन से अधिक की देरी को माफ नहीं किया जा सकता।’’ यह आदेश प्रभावी रूप से वैधानिक प्रतिबंधों को खत्म करता है।
इस प्रावधान के अनुसार अपील निर्णय, सजा या आदेश के 30 दिन के भीतर दायर की जानी चाहिए और यदि अपीलकर्ता के पास कोई उचित कारण हो तो उच्च न्यायालय 30 दिन के बाद भी अपील स्वीकार कर सकता है।
प्रावधान के अनुसार 90 दिन के बाद कोई अपील स्वीकार नहीं की जा सकती और यही दलीलों में विवाद का मुख्य कारण है।
पीठ ने पक्षकारों से कहा कि वे अगली सुनवाई की तारीख से पहले अपनी लिखित दलीलें तीन पृष्ठों में दें।
पीठ सुशीला देवी और उस्मान शरीफ द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)