पीएफआई प्रतिबंध: कांग्रेस, आईयूएमएल ने फैसले का किया स्वागत, आरएसएस पर भी रोक लगाने की मांग

पीएफआई प्रतिबंध: कांग्रेस, आईयूएमएल ने फैसले का किया स्वागत, आरएसएस पर भी रोक लगाने की मांग

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  • Publish Date - September 28, 2022 / 02:28 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:05 PM IST

तिरुवनंतपुरम, 28 सितंबर (भाषा) केरल में विपक्षी दल कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगी ‘इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग’ (आईयूएमएल) ने केंद्र के ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) को प्रतिबंधित करने के फैसले का बुधवार को स्वागत किया, हालांकि साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भी इसी तरह रोक लगाने की मांग की।

आईयूएमएल के वरिष्ठ नेता एम.के. मुनीर ने पीएफआई की गतिविधियों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि कट्टरपंथी संगठन ने कुरान की गलत व्याख्या की और समुदाय के सदस्यों को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए उकसाया।

कोझिकोड में उन्होंने कहा कि पीएफआई ने न केवल युवा पीढ़ी को बरगलाने की कोशिश की बल्कि समाज में विभाजन व नफरत पैदा करने की कोशिश की।

विधायक ने कहा, ‘‘ राज्य के सभी मुस्लिम विद्वानों ने चरमपंथी विचारधाराओं की कड़ी निंदा की है। पीएफआई जैसे संगठनों ने छोटे-छोटे बच्चों से भी घृणाभरे नारे लगवाए। किस इस्लाम ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी?’’

उन्होंने कहा कि आईयूएमएल ने आरएसएस और पीएफआई-एसडीपीआई के कृत्यों की हमेशा निंदा की है। उन्होंने कहा कि संबंधित समुदायों को ऐसे संगठनों की सांप्रदायिक विचारधाराओं का विरोध करना चाहिए।

वहीं कांग्रेस के नेता एवं राज्य के पूर्व गृह मंत्री रमेश चेनिथला ने कहा कि केंद्र का पीएफआई को प्रतिबंधित करने का फैसला ‘‘बेहद अच्छा’’ कदम है।

उन्होंने कहा, ‘‘ आरएसएस पर भी इसी तरह प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। केरल में बहुसंख्यक सांप्रदायिकता और अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता दोनों का समान रूप से विरोध किया जाना चाहिए। दोनों संगठनों ने सांप्रदायिक घृणा को भड़काया है और इस तरह समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश की है।’’

चेनिथला ने कहा कि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है, जिसने बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों समुदायों द्वारा फैलाई जाने वाली सांप्रदायिकता के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।

गौरतलब है कि सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से ‘‘संबंध’’ होने के कारण ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) व उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा