पीएचडी स्कॉलर ने तैयार किया बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन, जो पर्यावरण को भी रखेगा सुरक्षित

पीएचडी स्कॉलर ने तैयार किया बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन, जो पर्यावरण को भी रखेगा सुरक्षित

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  • Publish Date - February 14, 2019 / 08:38 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:05 PM IST

चेन्नई। चेन्नई की अन्ना विश्वविद्यालय की पीएचडी स्कॉलर छात्रा पी रामदॉस ने बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन तैयार किया है। जिसके चलते महिलाओं को मासिक धर्म में होने वाली बहुत सी अंदरूनी समस्या से राहत मिलेगी।इतना ही नहीं इस सैनिटरी नैपकिन की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे इधर -उधर फेकने कीआवश्यकता भी नहीं होगी। क्योकि इसे जिस चीज से तैयार किया गया है। उसे अगर फ्लैश भी किया जायेगा तो भी यह आपके टायलेट को जाम नहीं करेगा।
क्योकि यह अपने आप एक माह के अंदर गल जाता है।

<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”>Chennai: P Ramadoss, a Ph.D scholar from Anna University has developed biodegradable sanitary napkins. She says&quot;Complications that women face during periods&amp;my love for environment inspired me to invent this napkin. It degrades within a month&amp;can also be flushed in toilet&quot; (13/2) <a href=”https://t.co/oHMWU9c5vj”>pic.twitter.com/oHMWU9c5vj</a></p>&mdash; ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1095822717436100608?ref_src=twsrc%5Etfw”>February 13, 2019</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>

इस बारे में पीएचडी स्कॉलर छात्रा पी रामदॉस का कहना है कि “महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बहुत अधिक तकलीफों का सामना करना पड़ता है। साथ ही सेनेटरी नैपकिन जो बाजार में उपलब्ध होते हैं उन्हें जमीन पर फेंकने से भी पर्यावरण को नुकसान होता है। जिसे देखते हुए मैंने ये बायोडिग्रेडेबल नैपकिन तैयार किया।