फोटो प्रदर्शनी में मिल रही है बापू की दांडी यात्रा की झलक |

फोटो प्रदर्शनी में मिल रही है बापू की दांडी यात्रा की झलक

फोटो प्रदर्शनी में मिल रही है बापू की दांडी यात्रा की झलक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : May 19, 2022/3:32 pm IST

नयी दिल्ली,19 मई (भाषा) नई पीढ़ी को दांडी मार्च के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी देने के लिए जाने-माने फोटोग्राफर अनुज अंबालाल ने यात्रा मार्ग के 80 गांवों के उन स्थानों का फोटो डॉक्यूमेंटेशन तैयार किया है जहां से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 में सत्याग्रही गुजरे थे।

इस फोटो डॉक्यूमेंटेशन की प्रदर्शनी यहां इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित की जा रही है जिसका शीर्षक ‘23 ग्राम ऑफ सॉल्ट दांडी यात्रा’ है। 24 मई तक चलने वाली प्रदर्शनी में खाली इमारतों तथा ग्रामीण क्षेत्रों की तस्वीरों के साथ साथ यात्रा के दौरान महात्मा गांधी द्वारा लिखे गए व्यक्तिगत पत्रों की प्रतियां भी हैं।

अंबालाल ने 2018 में अहमदाबाद से दांडी की यात्रा की जिसे पूरा करने में उन्हें दो साल लगे। उन्होंने लगभग 80 गांवों का दौरा किया जो गांधी जी की प्रतिष्ठित यात्रा का हिस्सा थे।

इस प्रदर्शनी में वह उस्तरा भी दिख रहा है जिससे रायमा में 1930 में गांधी जी की दाढ़ी बनाई गई थी। अहमदाबाद की चंडोला झील के पास उस जगह को प्रदर्शनी में दिखाया गया है जहां से यात्रा के दौरान सबसे पहले गांधी जी ने भाषण दिया था।

दांडी यात्रा के मार्ग में आने वाले उन कुओं, उन पेड़ों की भी फोटो हैं जहां से गांधी जी ने लोगों को संबोधित किया था। उन स्थानों और धर्माशालाओं की तस्वीरें हैं जहां गांधी जी और अन्य सत्यग्रहियों ने आराम किया था।

अंबालाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, “ भारतीय स्वीधनता संग्राम की कुछ बड़ी मुहिम रही हैं जिनमें से एक दांडी मार्च है।”

उन्होंने कहा, “मुझे इस यात्रा का फोटो डॉक्यूमेंटेशन नहीं दिखा, जैसे यह कहां पर हुई, गांधी जी कहां से गए, उन्होंने कहां आराम किया, कहां पर लोगों को संबोधित किया, कौन से पेड़ के नीचे उन्होंने प्रार्थना की थी आदि।”

अंबालाल ने कहा, “ इसलिए मुझे लगा कि नई पीढ़ी को उस मार्ग और उन स्थानों के बारे में फोटो के माध्यम से बताया जाए जिनका इस्तेमाल बापू ने ऐतिहासिक यात्रा के दौरान किया था।” उन्होंने कहा कि कई स्थान ऐसे हैं जिन्हें संरक्षित नहीं किया गया और उनकी हालात जर्जर है।

अंबालाल के मुताबिक, प्रदर्शनी में 47 तस्वीरों को ही प्रदर्शित किया जा रहा है जबकि इस पर लिखी किताब “23 ग्राम ऑफ सॉल्ट, रीट्रेसिंग गांधीज़ मार्च टू दांडी” में 250 तस्वीरें हैं। यह किताब पिछले साल बाजार में आई थी।

दांडी यात्रा 12 मार्च से छह अप्रैल 1930 तक 26 दिनों की यात्रा थी जो वास्तव में अंग्रेज सरकार द्वारा नमक पर एकाधिकार के लिए लगाए जाने वाले कर के खिलाफ अभियान था। 1882 के नमक कानून के तहत अंग्रेजों ने नमक बनाने और बिक्री पर एकाधिकार कर लिया था। इस कानून के चलते भारतीय नागरिक नमक को उपनिवेशवादियों से खरीदने के लिए मजबूर थे।

जैसे ही महात्मा गांधी ने दांडी में नमक कानून तोड़ा, भारत के अन्य हिस्सों में भी सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो गया। दांडी मार्च ने ब्रिटिश सरकार को झकझोर कर रख दिया। यह मार्च भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

भाषा नोमान नोमान मनीषा

मनीषा

 

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