एक राष्ट्र के रूप में साथ खड़े होने का संकल्प लें: राज्यसभा के सभापति ने वंदे मातरम् पर कहा

एक राष्ट्र के रूप में साथ खड़े होने का संकल्प लें: राज्यसभा के सभापति ने वंदे मातरम् पर कहा

एक राष्ट्र के रूप में साथ खड़े होने का संकल्प लें: राज्यसभा के सभापति ने वंदे मातरम् पर कहा
Modified Date: December 9, 2025 / 04:43 pm IST
Published Date: December 9, 2025 4:43 pm IST

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) राज्यसभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन ने मंगलवार को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् को मातृभूमि के प्रति प्रेम की भावना से देश को जोड़ने वाला ‘‘अमर स्तुति गीत’’ बताते हुए सभी से एकता और राष्ट्रीय सेवा का संकल्प लेने का आह्वान किया।

वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर उच्च सदन में चर्चा से पहले सभापति ने कहा कि यह गीत उन वीर स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत की याद दिलाता है, जो इसे गाते हुए फांसी के तख्ते तक निर्भीकता से पहुंचे।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने वंदे मातरम् को हर घर, हर स्कूल, हर संघर्ष और हर भारतीय के हृदय तक पहुंचाया।

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राधाकृष्णन ने कहा, “वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत ही नहीं है बल्कि यह हमारे राष्ट्र की धड़कन है। यह असंख्य माताओं की मौन प्रार्थना, शोषितों की आशा और स्वतंत्रता का स्वप्न देखने वालों का अटूट साहस है।”

उन्होंने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह अमर गीत औपनिवेशिक दमन के दौर में स्वतंत्रता की आकांक्षा का प्रतीक बना और इसने धर्म, भाषा और भूगोल की सीमाएं पार कर पूरे राष्ट्र को मातृभूमि-प्रेम की एक भावना में बांधा।

उन्होंने कहा, “वंदे मातरम् स्वतंत्रता सेनानियों का अंतिम उद्घोष था, जिसे वे गर्व से गाते हुए फांसी पर चढ़े। उनकी बलिदान कथा इस गीत की हर पंक्ति में गूंजती है।”

सभापति ने सुब्रमण्यम भारती की एक देशभक्तिपूर्ण कविता का भी उल्लेख किया।

गृह मंत्री अमित शाह को चर्चा शुरू करने की अनुमति देने से पहले राधाकृष्णन ने कहा, “वंदे मातरम् एक संकल्प है—हमारी पहचान का, हमारी एकता का, और हमारी सामूहिक नियति का। इसकी रचना के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आइये, हम सभी अपने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करें।”

उन्होंने कहा, “आज हम संकल्प लें—ईमानदारी से देश की सेवा करने का, एक जनता और एक राष्ट्र के रूप में साथ खड़े होने का, और गर्व से वंदे मातरम् कहने का।”

राज्यसभा में ‘वंदे मातरम्’ पर चर्चा के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है।

भाषा

मनीषा माधव

माधव


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