कोच्चि, सात सितंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा, घरों और परिवार से उनकी दूरी एक दुखद व अंतहीन कहानी है। अदालत ने अपनी लिव-इन पार्टनर और नाबालिग बच्चे की हत्या करने के मामले में बंगाल के निवासी की दोषसिद्धि के खिलाफ दाखिल अपील खारिज करते हुए यह टिपप्णी की।
न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और जियाद रहमान ए ए की पीठ ने कहा, ”घरों और परिवार से दूर रहने वाले प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा एक अंतहीन कथा है, जो अक्सर अर्थहीन और दुखद होती है।”
अदालत ने अपील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार दोषी और पीड़िता दोनों अपने बच्चे के साथ जीवन यापन करने के लिए पश्चिम बंगाल से केरल आए थे। हालांकि, 4 मई, 2011 की रात को दोषी ने अपनी लिव-इन-पार्टनर महिला की 15 बार चाकू मारकर हत्या कर दी और उसके बच्चे का भी गला घोंट दिया, जिसके बाद वह अगली सुबह अपने मूल राज्य भाग गया। इसके बाद, उसे पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमा चलाने के लिए वापस केरल लाया गया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार उसने महिला के पास जमा पैसे के लिये उसकी और बच्चे की हत्या की थी।
भाषा जोहेब पवनेश
पवनेश
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