प्रधानमंत्री ने फिर से ‘ड्रामेबाजी’ की है: खरगे

प्रधानमंत्री ने फिर से ‘ड्रामेबाजी’ की है: खरगे

प्रधानमंत्री ने फिर से ‘ड्रामेबाजी’ की है: खरगे
Modified Date: December 1, 2025 / 12:04 pm IST
Published Date: December 1, 2025 12:04 pm IST

नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पलटवार करते हुए कहा कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री ने संसद के समक्ष मुख्य मुद्दों की बात करने के बजाय फ़िर से ‘ड्रामेबाजी’ की है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अब ध्यान भटकाने का नाटक ख़त्म कर जनता के असली मुद्दों पर संसद में चर्चा करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को विपक्ष पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह संसद को चुनावी हार के बाद “हताशा निकालने का मंच” बना रहा है।

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संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले संसद परिसर में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सत्र राजनीतिक रंगमंच न बने, बल्कि रचनात्मक और परिणामोन्मुखी बहस का माध्यम बने।

प्रधानमंत्री पर पलटवार करते हुए खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के समक्ष मुख्य मुद्दों की बात करने के बजाय फिर से ‘ड्रामेबाजी की डिलीवरी’ की है। असलियत यह है कि संसदीय मर्यादा और संसदीय प्रणाली को पिछले 11 साल से सरकार ने लगातार कुचला है, उसकी लंबी फेहरिस्त है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले मानसून सत्र में ही कम से कम 12 विधेयक जल्दबाजी में पारित कर दिए गए, कुछ 15 मिनट से भी कम समय में और कुछ बिना किसी चर्चा के। पूरे देश ने पहले भी देखा है किस तरह किसान विरोधी काले क़ानून, जीएसटी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता जैसे विधेयक संसद में आनन-फानन में पारित कराए गए।’’

उनका कहना था कि इसी संसद में जब मणिपुर का मुद्दा उठा, तो प्रधानमंत्री तब तक चुप रहे, जब तक विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया।

खरगे ने कहा, ‘‘एसआईआर की प्रक्रिया में काम के बोझ के कारण बीएलओ लगातार जान गंवा रहे हैं। विपक्ष, ‘वोट चोरी’ सहित अन्य मुद्दों को प्राथमिकता देना चाहता है और संसद में हम इसे लगातार उठाएंगे।’’

उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को अब ध्यान भटकाने का नाटक ख़त्म करना चाहिए और जनता के असली मुद्दों पर संसद में चर्चा करनी चाहिए।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सच्चाई यही है कि आम आदमी बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक असमानता और देश के बहुमूल्य संसाधनों की लूट से जूझ रहा है और सत्ता में बैठे लोग, सत्ता के अहंकार में ड्रामेबाज़ी का खेल, खेल रहे हैं।’’

भाषा हक

हक गोला

गोला

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