PM Modi's 'Mann Ki Baat' made these big announcements

‘Mann Ki Baat’ : पीएम मोदी ने देश को किया संबोधित, ‘मन की बात’ में की ये बड़ी घोषणाएं, दीनदयाल उपाध्याय को किया नमन

PM Modi's 'Mann Ki Baat' : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपना मासिक रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) किया।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : September 25, 2022/1:24 pm IST

नई दिल्ली : PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपना मासिक रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) किया। इस दौरान उन्होंने देश को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार।पिछले दिनों जिस बात ने हम सब का ध्यान आकर्षित किया – वह है चीता। चीतों पर बात करने के लिए ढ़ेर सारे messages आए हैं, वह चाहे उत्तर प्रदेश के अरुण कुमार गुप्ता हों या फिर तेलंगाना के एन. रामचंद्रन रघुराम, गुजरात के राजन हों या फिर दिल्ली के सुब्रत। देश के कोने-कोने से लोगों ने भारत में चीतों के लौटने पर खुशियाँ जताई हैं। 130 करोड़ भारतवासी खुश हैं, गर्व से भरे हैं – यह है भारत का प्रकृति प्रेम। इस बारे में लोगों का एक ही सवाल है कि मोदी जी हमें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा ?

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PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : साथियो, एक task force बनी है। यह task force चीतों की monitoring करेगी और ये देखेगी कि यहाँ के माहौल में वो कितने घुल-मिल पाए हैं। इसी आधार पर कुछ महीने बाद कोई निर्णय लिया जाएगा, और तब आप, चीतों को देख पायेंगे। लेकिन तब तक मैं आप सबको कुछ-कुछ काम सौंप रहा हूँ, इसके लिए MyGovके platform पर, एक competition आयोजित किया जाएगा, जिसमें लोगों से मैं कुछ चीजें share करने का आग्रह करता हूँ। चीतों को लेकर जो हम अभियान चला रहे हैं, आखिर, उस अभियान का नाम क्या होना चाहिए!

क्या हम इन सभी चीतों के नामकरण के बारे में भी सोच सकते हैं कि, इनमें से हर एक को, किस, नाम से बुलाया जाए! वैसे ये नामकरण अगर traditional हो तो काफी अच्छा रहेगा, क्योंकि, अपने समाज और संस्कृति, परंपरा और विरासत से जुड़ी हुई कोई भी चीज, हमें, सहज ही, अपनी ओर आकर्षित करती है। यही नहीं, आप ये भी बतायें, आखिर इंसानों को जानवरों के साथ कैसे बर्ताव करना चाहिए! हमारी फंडामेंटल ड्यूटिस में भी तो जानवरों की इज्जत करने पर जोर दिया गया है। मेरी आप सभी से अपील है कि आप इस competition में जरुर भाग लीजिए – क्या पता इनाम स्वरुप चीते देखने का पहला अवसर आपको ही मिल जाए!

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दीनदयाल उपाध्याय को किया याद

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : मेरे प्यारे देशवासियो, आज 25 सितंबर को देश के प्रखर मानवतावादी, चिन्तक और महान सपूत दीनदयाल उपाध्याय का जन्मदिन मनाया जाता है। किसी भी देश के युवा जैसे-जैसे अपनी पहचान और गौरव पर गर्व करते हैं, उन्हें, अपने मौलिक विचार और दर्शन उतने ही आकर्षित करते हैं। दीनदयाल जी के विचारों की सबसे बड़ी खूबी यही रही है कि उन्होंने अपने जीवन में विश्व की बड़ी-बड़ी उथल-पुथल को देखा था। वो विचारधाराओं के संघर्षों के साक्षी बने थे। इसीलिए, उन्होंने ‘एकात्ममानवदर्शन’ और ‘अंत्योदय’ का एक विचार देश के सामने रखा जो पूरी तरह भारतीय था। दीनदयाल जी का ‘एकात्ममानवदर्शन’ एकऐसा विचार है, जो विचारधारा के नाम पर द्वन्द्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है।

उन्होंने मानव मात्र को एक समान मानने वाले भारतीय दर्शन को फिर से दुनिया के सामने रखा। हमारे शास्त्रों में कहा गया है – ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’, अर्थात्, हम जीव मात्र को अपने समान मानें, अपने जैसा व्यवहार करें।आधुनिक, सामाजिक और राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भी भारतीय दर्शन कैसे दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है, ये, दीनदयाल जी ने हमें सिखाया। एक तरह से, आजादी के बाद देश में जो हीनभावना थी, उससे आजादी दिलाकर उन्होंने हमारी अपनी बौद्धिक चेतना को जागृत किया।वो कहते भी थे – ‘हमारी आज़ादी तभी सार्थक हो सकती है जब वो हमारी संस्कृति और पहचान की अभिव्यक्ति करे’। इसी विचार के आधार पर उन्होंने देश के विकास का विज़न निर्मित किया था। दीनदयाल उपाध्याय कहते थे कि देश की प्रगति का पैमाना, अंतिम पायदान पर मौजूद व्यक्ति होता है। आज़ादी के अमृतकाल में हम दीनदयाल जी को जितना जानेंगे, उनसे जितना सीखेंगे, देश को उतना ही आगे लेकर जाने की हम सबको प्रेरणा मिलेगी।

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भगत सिंह के नाम पर होगा चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : आज से तीन दिन बाद, यानी 28 सितम्बर को अमृत महोत्सव का एक विशेष दिन आ रहा है। इस दिन हम भारत माँ के वीर सपूत भगत सिंह जी की जयंती मनाएंगे। भगत सिंह जी की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरुप एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। यह तय किया है कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम अब शहीद भगत सिंह जी के नाम पर रखा जाएगा। इसकी लम्बे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। मैं चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और देश के सभी लोगों को इस निर्णय की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

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PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : साथियो, हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लें, उनके आदर्शों पर चलते हुए उनके सपनों का भारत बनाएं, यही, उनके प्रति हमारी श्रद्धांजलि होती है। शहीदों के स्मारक, उनके नाम पर स्थानों और संस्थानों के नाम हमें कर्तव्य के लिए प्रेरणा देते हैं।अभी कुछ दिन पहले ही देश ने कर्तव्यपथ पर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की मूर्ति की स्थापना के ज़रिये भी ऐसा ही एक प्रयास किया है और अब शहीद भगत सिंह के नाम से चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम इस दिशा में एक और कदम है। मैं चाहूँगा, अमृत महोत्सव में हम जिस तरह स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े विशेष अवसरों पर जश्न मना रहे हैं। उसी तरह 28 सितम्बर को भी हर युवा कुछ नया प्रयास अवश्य करे।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि आप सभी के पास 28 सितम्बर को जश्न मनाने की एक और वजह भी है। जानते हैं क्या है! मैं सिर्फ दो शब्द कहूँगा लेकिन मुझे पता है, आपका जोश चार गुना ज्यादा बढ़ जाएगा। ये दो शब्द हैं- सर्जिकल स्ट्राइक। बढ़ गया ना जोश! हमारे देश में अमृत महोत्सव का जो अभियान चल रहा है उन्हें हम पूरे मनोयोग से जश्न मनाए, अपनी खुशियों को सबके साथ साझा करें।

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : पीएम मोदी ने कहा कहते हैं – जीवन के संघर्षों से तपे हुए व्यक्ति के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं पाती। अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में हम कुछ ऐसे साथियों को भी देखते हैं, जो किसी ना किसी शारीरिक चुनौती से मुकाबला कर रहे हैं। बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो या तो सुन नहीं पाते, या, बोलकर अपनी बात नहीं रख पाते। ऐसे साथियों के लिए सबसे बड़ा सम्बल होती है, Sign Language. लेकिन भारत में बरसों से एक बड़ी दिक्कत ये थी कि Sign Language के लिए कोई स्पष्ट हाव-भाव तय नहीं थे, standards नहीं थे। इन मुश्किलों को दूर करने के लिए ही वर्ष 2015 में Indian Sign Language Research and Training Centerकी स्थापना हुई थी।

मुझे ख़ुशी है कि ये संस्थान अब तक दस हज़ार words और Expressions की Dictionary तैयार कर चुका है। दो दिन पहले यानि 23 सितम्बर को Sign Language Day पर, कई स्कूली पाठ्यक्रमों को भी Sign Language में Launch किया गया है।Sign Language के तय Standard को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी काफी बल दिया गया है।Sign Language कीजो Dictionary बनी है, उसके video बनाकर भी उनका निरंतर प्रसार किया जा रहा है।YouTube पर कई लोगों ने, कई संस्थानों ने,Indian Sign Language में अपने चैनल शुरू कर दिए हैं, यानि,7-8 साल पहले Sign Language को लेकर जो अभियान देश में प्रारंभ हुआ था, अब उसका लाभ लाखों मेरे दिव्यांग भाई-बहनों को होने लगा है। हरियाणा की रहने वाली पूजा जी तो Indian Sign Language से बहुत खुश हैं। पहले वो अपने बेटे से ही संवाद नहीं कर पाती थीं, लेकिन,2018 में Sign Language की training लेने के बाद, माँ-बेटे दोनों का जीवन आसान हो गया है। पूजा जी के बेटे ने भी Sign Language सीखी और अपने स्कूल में उसने storytelling में Prize जीतकर भी दिखा दिया।

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : इसी तरह, टिंकाजी की छह साल की एक बिटिया है, जो सुन नहीं पाती है। टिंकाजी ने अपनी बेटी को Sign Language का course कराया था लेकिन उन्हें खुद Sign Language नहीं आती थी, इस वजह से वो अपनी बच्ची से Communicate नहीं कर पाती थी। अब टिंकाजी ने भी sign language की training ली है और दोनों माँ-बेटी अब आपस में खूब बातें किया करती हैं। इन प्रयासों का बहुत बड़ा लाभ केरला की मंजू जी को भी हुआ है। मंजू जी, जन्म से ही सुन नहीं पाती है, इतना ही नहीं उनके parents के जीवन में भी यही स्थिति रही है। ऐसे में sign language ही पूरे परिवार के लिए संवाद का जरिया बनी है। अब तो मंजू जी खुद ही Sign Language की teacher बनने का भी फैसला ले लिया है।

साथियो, मैं इसके बारे में ‘मन की बात’ में इसलिए भी चर्चा कर रहा हूँ ताकि Indian Sign Language को लेकर Awareness बढ़े।इससे हम, अपने दिव्यांग साथियों की अधिक से अधिक मदद कर सकेंगे। भाइयो और बहनों, कुछ दिन पहले मुझे ब्रेल में लिखी हेमकोश की एक copy भी मिली है। हेमकोश असमिया भाषा की सबसे पुरानी Dictionaries में से एक है। यह 19वीं शताब्दी में तैयार की गई थी। इसका सम्पादन प्रख्यात भाषाविद् हेमचन्द्र बरुआ जी ने किया था। हेमकोश का ब्रेल Edition करीब 10 हज़ार पन्नों का है और यह 15 Volumes से भी अधिक में प्रकाशित होने जा रहा है। इसमें 1 लाख से भी अधिक शब्दों का अनुवाद होना है। मैं इस संवेदनशील प्रयास की बहुत सराहना करता हूँ। इस तरह के हर प्रयास दिव्यांग साथियों का कौशल और सामर्थ्य बढ़ाने में बहुत मदद करते हैं। आज भारत Para Sports में भी सफलता के परचम लहरा रहा है। हम सभी कई Tournaments में इसके साक्षी रहे हैं। आज कई लोग ऐसे हैं, जो दिव्यांगों के बीच Fitness Culture को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने में जुटे हैं। इससे दिव्यांगों के आत्मविश्वास को बहुत बल मिलता है।

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : मेरे प्यारे देशवासियो, मैं कुछ दिन पहले सूरत की एक बिटिया अन्वी से मिला। अन्वी और अन्वी के योग से मेरी वो मुलाकात इतनी यादगार रही है कि उसके बारे में, मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं को जरुर बताना चाहता हूँ। साथियो, अन्वी, जन्म से ही Down Syndrome से पीड़ित हैं और वो बचपन से ही Heart की गंभीर बीमारी से भी जूझती रही है। जब वो केवल तीन महीने की थी, तभी उसे Open Heart Surgery से भी गुजरना पड़ा। इन सब मुश्किलों के बावजूद, न तो अन्वीने, और न ही उसके माता-पिता ने कभी हार मानी। अन्वी के माता-पिता ने Down Syndrome के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा की और फिर तय किया कि अन्वी के दूसरों पर निर्भरता को कम कैसे करेंगे। उन्होंने अन्वी को पानी का गिलास कैसे उठाना, जूते के फीते कैसे बांधना, कपड़ों के बटन कैसे लगाना, ऐसी छोटी छोटी छोटी चीज़े सिखाना शुरू किया। कौन सी चीज की जगह कहाँ है, कौन सी अच्छी आदतें होती हैं, ये सब कुछ बहुत धैर्य के साथ उन्होंने अन्वी को सिखाने की कोशिश की।

बिटिया अन्वी ने जिस तरह सीखने की इच्छाशक्ति दिखाई, अपनी प्रतिभा दिखाई, उससे, उसके माता-पिता को भी बहुत हौसला मिला। उन्होंने अन्वी को योग सीखने के लिए प्रेरित किया।मुसीबत इतनी गंभीर थी, कि अन्वी अपने दो पैर पर भी खड़ी नहीं हो पाती थी, ऐसी परिस्थिति में उनके माता-पिताजी नेअन्वी को योग सीखने के लिए प्रेरित किया।पहली बार जब वो योग सिखाने वाली Coach के पास गई तो वे भी बड़ी दुविधा में थे कि क्या ये मासूम बच्ची योग कर पायेगी! लेकिन Coach को भी शायद इसका अंदाजा नहीं था कि अन्वी किस मिट्टी की बनी है। वो अपनी माँ के साथ योग का अभ्यास करने लगी और अब तो वो योग में expert हो चुकी है। अन्वी आज देशभर के Competitions में हिस्सा लेती है और Medal जीतती है। योग ने अन्वी को नया जीवन दे दिया। अन्वी ने योग को आत्मसात कर जीवन कोआत्मसात किया।

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : अन्वी के माता-पिता ने मुझे बताया कि योग से अन्वी के जीवन में अद्भुत बदलाव देखने को मिला है, अब उसका Self-Confidence गजब का हो गया है। योग से अन्वी की Physical Health में भी सुधार हुआ है और दवाओं की जरुरत भी कम होती चली जा रही है। मैं चाहूँगा कि देश-विदेश में मौजूद, ‘मन की बात’ के श्रोता अन्वी को योग से हुए लाभ का वैज्ञानिक अध्ययन कर सकें, मुझे लगता है कि अन्वी एक बढ़िया Case studyहै, जो योग के सामर्थ को जांचना-परखना चाहते हैं, ऐसे वैज्ञानिकों ने आगे आकर के अन्वी की इस सफलता पर अध्ययन करके, योग के सामर्थसे दुनिया को परिचित कराना चाहिए। ऐसी कोई भी Research, दुनिया भर में Down Syndrome से पीड़ित बच्चों की बहुत मदद कर सकती है। दुनिया अब इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि Physical और Mental Wellness के लिए योग बहुत ज्यादा कारगर है।

विशेषकर Diabetes और Blood pressure से जुड़ी मुश्किलों में योग से बहुत मदद मिलती है। योग की ऐसी ही शक्ति को देखते हुए 21 जून को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाना तय किया हुआ है। अब United Nation – संयुक्त राष्ट्र ने भारत के एक और प्रयास को Recognize किया है, उसे सम्मानित किया है। ये प्रयास है, वर्ष 2017 में शुरू किया गया – “India Hypertension Control Initiative” इसके तहत Blood Pressure की मुश्किलों से जूझ रहे लाखों लोगों का इलाज सरकारी सेवा केन्द्रों में किया जा रहा है। जिस तरह इस initiative ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओ का ध्यान अपनी ओर खींचा है, वो अभूतपूर्व है। ये हम सबके लिए उत्साह बढ़ाने वाली बात है कि जिन लोगों का उपचार हुआ है, उनमें से क़रीब आधे का Blood Pressure Control में है। मैं इस initiative के लिए काम करने वाले उन सभी लोगों को बहुत- बहुत बधाई देता हूँ, जिन्होंने अपने अथक परिश्रम से इसे सफल बनाया।

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : साथियो,मानव जीवन की विकास यात्रा, निरंतर, पानी से जुड़ी हुई है – चाहे वो समुंद्र हो, नदी हो या तालाब हो।भारत का भी सौभाग्य है कि करीब साढ़े सात हजार किलोमीटर (7500 किलोमीटर) से अधिक लम्बी Coastline के कारण हमारा समुंद्र से नाता अटूट रहा है। यह तटीय सीमा कई राज्यों और द्वीपों से होकर गुजरती है। भारत के अलग-अलग समुदायों और विविधताओं से भरी संस्कृति को यहाँ फलते-फूलते देखा जा सकता है। इतना ही नहीं, इन तटीय इलाकों का खानपान लोगों को खूब आकर्षित करता है। लेकिन इन मजेदार बातों के साथ ही एक दुखद पहलू भी है। हमारे ये तटीय क्षेत्र पर्यावरण से जुडी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

Climate Change, Marine Eco-Systems के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है तो दूसरी ओर हमारे beaches पर फ़ैली गंदगी परेशान करने वाली है। हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम इन चुनौतियों के लिए गंभीर और निरंतर प्रयास करें। यहाँ मैं देश के तटीय क्षेत्रों में Coastal Cleaning की एक कोशिश ‘स्वच्छ सागर – सुरक्षित सागर’ इसके बारे में बात करना चाहूंगा। 5 जुलाई को शुरू हुआ यह अभियान बीते 17 सितम्बर को विश्वकर्मा जयंती के दिन संपन्न हुआ। इसी दिन Coastal Clean Up Day भी था। आज़ादी के अमृत महोत्सव में शुरू हुई यह मुहिम 75 दिनों तक चली।

इसमें जनभागीदारी देखते ही बन रही थी। इस प्रयास के दौरान पूरे ढ़ाई महीने तक सफ़ाई के अनेक कार्यक्रम देखने को मिले। गोवा में एक लम्बी Human Chain बनाई गई। काकीनाड़ा में गणपति विसर्जन के दौरान लोगों को plastic से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया। NSS के लगभग 5000 युवा साथियों ने तो 30 टन से अधिक plastic एकत्र किया। ओडिशा में तीन दिन के अन्दर 20 हजार से अधिक स्कूली छात्रों ने प्रण लिया कि वे अपने साथ ही परिवार और आसपास के लोगों को भी ‘स्वच्छ सागर और सुरक्षित सागर’ के लिए प्रेरित करेंगे। मैं उन सभी लोगों को बधाई देना चाहूंगा, जिन्होंने, इस अभियान में हिस्सा लिया। ElectedOfficials, खासकर शहरों के मेयर और गाँवों के सरपंचों से जब मैं संवाद करता हूँ, तो ये आग्रह जरुर करता हूँ कि स्वच्छता जैसे प्रयासों में Local Communities और Local Organisations को शामिल करें, Innovative तरीके अपनाएं।

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : बेंगलुरु में एक टीम है – Youth For Parivarthan (यूथ फॉर परिवर्तन). पिछले आठ सालों से यह टीम स्वच्छता और दूसरी सामुदायिक गतिविधियों को लेकर काम कर रही है। उनका motto बिलकुल clear है – ‘Stop Complaining, Start Acting’. इस टीम ने अब तक शहरभर की 370 से ज्यादा जगहों का सौंदर्यीकरण किया है। हर स्थान पर Youth For Parivarthan के अभियान ने 100 से डेढ़ सौ (150) नागरिक को जोड़ा है। प्रत्येक रविवार को यह कार्यक्रम सुबह शुरू होता है और दोपहर तक चलता है।

इस कार्य में कचरा तो हटाया ही जाता है, दीवारों पर painting और Artistic Sketches बनाने का काम भी होता है। कई जगहों पर तो आप प्रसिद्ध व्यक्तियों के Sketches और उनके Inspirational Quotes भी देख सकते हैं। बेंगलुरु के Youth For Parivarthan के प्रयासों के बाद,मैं, आपको मेरठ के ‘कबाड़ से जुगाड़’ अभियान के बारे में भी बताना चाहता हूँ। यह अभियान पर्यावरण की सुरक्षा के साथ-साथ शहर के सौंदर्यीकरण से भी जुड़ा है। इस मुहिम की ख़ास बात यह भी है कि इसमें लोहे का scrap, plastic waste, पुराने टायर और drum जैसी बेकार हो चुकी चीजों का प्रयोग किया जाता है। कम खर्चे में सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण कैसे हो – यह अभियान इसकी भी एक मिसाल है। इस अभियान से जुड़े सभी लोगों की मैं हृदय से सराहना करता हूँ।

मेरे प्यारे देशवासियो, इस समय देश में चारों ओर उत्सव की रौनक है। कल नवरात्रि का पहला दिन है। इसमें हम देवी के पहले स्वरूप ‘माँ शैलपुत्री’ की उपासना करेंगे। यहाँ से नौ दिनों का नियम-संयम और उपवास, फिर विजयदशमी का पर्व भी होगा, यानि, एक तरह से देखें तो हम पाएंगे कि हमारे पर्वों में आस्था और आध्यात्मिकता के साथ-साथ कितना गहरा सन्देश भी छिपा है। अनुशासन और संयम से सिद्धि की प्राप्ति, और उसके बाद विजय का पर्व, यही तो जीवन में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग होता है। दशहरे के बाद धनतेरस और दिवाली का भी पर्व आने वाला है।

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : साथियो, बीते वर्षों से हमारे त्योहारों के साथ देश का एक नया संकल्प भी जुड़ गया है। आप सब जानते हैं, ये संकल्प है –‘Vocal for Local’ का। अब हम त्योहारों की खुशी में अपने local कारीगरों को, शिल्पकारों को और व्यापारियों को भी शामिल करते हैं। आने वाले 2 अक्टूबर को बापू की जयन्ती के मौके पर हमें इस अभियान को और तेज करने का संकल्प लेना है। खादी, handloom, handicraft ये सारे product के साथ-साथ local सामान जरुर खरीदें। आखिर इस त्योहार का सही आनंद भी तब है, जब हर कोई इस त्योहार का हिस्सा बने, इसलिए, स्थानीय product के काम से जुड़े लोगों को हमें support भी करना है। एक अच्छा तरीका ये है कि त्योहार के समय हम जो भी gift करें, उसमें इस प्रकार के product को शामिल करें।

इस समय यह अभियान इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान हम आत्मनिर्भर भारत का भी लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। जो सही मायने में आजादी के दीवानों को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसलिए मेरा आपसे निवेदन है इस बार खादी, handloom या handicraft इस product को खरीदने के आप सारे record तोड़ दें। हमने देखा है त्योहारों पर packing और packaging के लिए polythene bags का भी बहुत इस्तेमाल होता रहा है। स्वच्छता के पर्वों पर polythene का नुकसानकारक कचरा, ये भी हमारे पर्वों की भावना के खिलाफ है। इसलिए, हम स्थानीय स्तर पर बने हुएnon-plastic bags का ही इस्तेमाल करें। हमारे यहाँ जूट के, सूत के, केले के, ऐसे कितने ही पारंपरिक bag का चलन एक बार फिर से बढ़ रहा है। ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम त्योहारों के अवसर पर इनको बढ़ावा दें, और स्वच्छता के साथ अपने और पर्यावरण के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें।

मेरे प्यारे देशवासियो,हमारे शास्त्रों में कहा गया है –

‘परहित सरिस धरम नहीं भाई’

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : यानि दूसरों का हित करने के समान, दूसरों की सेवा करने, उपकार करने के समान कोई और धर्म नहीं है। पिछले दिनों देश में, समाज सेवा की इसी भावना की एक और झलक देखने को मिली। आपने भी देखा होगा कि लोग आगे आकर किसी ना किसी टी.बी. से पीड़ित मरीज को गोद ले रहे हैं, उसके पौष्टिक आहार का बीड़ा उठा रहे हैं। दरअसल, ये टीबी मुक्त भारत अभियान का एक हिस्सा है, जिसका आधार जनभागीदारी है, कर्तव्य भावना है। सही पोषण से ही, सही समय पर मिली दवाइयों से, टीबी का इलाज संभव है। मुझे विश्वास है कि जनभागीदारी की इस शक्ति से वर्ष 2025 तक भारत जरुर टीबी से मुक्त हो जाएगा।

साथियो, केंद्र शासित प्रदेश दादरा-नगर हवेली और दमन-दीव से भी मुझे एक ऐसा उदाहरण जानने को मिला है, जो मन को छू लेता है। यहाँ के आदिवासी क्षेत्र में रहने वाली जिनु रावतीया जी ने लिखा है कि वहां चल रहे ग्राम दत्तक कार्यक्रम के तहत Medical college के students ने 50 गांवों को गोद लिया है। इसमें जिनु जी का गाँव भी शामिल है।Medical के ये छात्र, बीमारी से बचने के लिए गाँव के लोगों को जागरूक करते हैं, बीमारी में मदद भी करते हैं, और,सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी देते हैं। परोपकार की ये भावना गांवों में रहने वालों के जीवन में नई खुशियाँ लेकर आई है। मैं इसके लिए medical college के सभी विद्यार्थियों का अभिनन्दन करता हूँ।

PM Modi’s ‘Mann Ki Baat’ : साथियो, ‘मन की बात’ में नए-नए विषयों कीचर्चा होती रहती है। कई बार इस कार्यक्रम के जरिए हमें कुछ पुराने विषयों की गहराई में भी उतरने का मौक़ा मिलता है। पिछले महीने ‘मन की बात’ में मैंने मोटे अनाज, और वर्ष 2023 को ‘International Millet Year’ के तौर पर मनाने से जुड़ी चर्चा की थी। इस विषय को लेकर लोगों में बहुत उत्सुकता है। मुझे ऐसे ढ़ेरों पत्र मिले हैं, जिसमें लोग बता रहे हैं उन्होंने कैसे millets को अपने दैनिक भोजन का हिस्सा बनाया हुआ है। कुछ लोगों ने millet से बनने वाली पारंपरिक व्यंजनो के बारे में भीबताया है। ये एक बड़े बदलाव के संकेत हैं। लोगों के इस उत्साह को देखकर मुझे लगता है कि हमें मिलकर एक e-book तैयार करनी चाहिए, जिसमें लोग millet से बनने वाले dishes और अपने अनुभवों को साझा कर सकें, इससे, International Millet Year शुरू होने से पहले हमारे पास millets को लेकर एक public encyclopaedia भी तैयार होगा और फिर इसे MyGov portal पर publish कर सकते हैं।

साथियो, ‘मन की बात’ में इस बार इतना ही, लेकिन चलते-चलते, मैं, आपको National Games के बारे में भी बताना चाहता हूँ। 29 सितम्बर से गुजरात में National Games का आयोजन हो रहा है। ये बड़ा ही ख़ास मौका है, क्योंकि National Games का आयोजन, कई साल बाद हो रहा है। कोविड महामारी की वजह से पिछली बार के आयोजनों को रद्द करना पड़ा था। इस खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले हर खिलाड़ी को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। इस दिन खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए मैं उनके बीच में ही रहूँगा। आप सब भी National Games को जरुर follow करें और अपने खिलाड़ियों का हौसला बढाएं। अब मैं आज के लिए विदा लेता हूँ। अगले महीने ‘मन की बात’ में नए विषयों के साथ आपसे फिर मुलाक़ात होगी।

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