जी20 को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का नजरिया कश्मीर मुद्दे पर चौंकानवाले परिणाम दे सकता है: हुर्रियत |

जी20 को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का नजरिया कश्मीर मुद्दे पर चौंकानवाले परिणाम दे सकता है: हुर्रियत

जी20 को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का नजरिया कश्मीर मुद्दे पर चौंकानवाले परिणाम दे सकता है: हुर्रियत

:   Modified Date:  December 5, 2022 / 07:51 PM IST, Published Date : December 5, 2022/7:51 pm IST

श्रीनगर, पांच दिसंबर (भाषा) हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने सोमवार को कहा कि भारत के जी20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक लेख में रेखांकित नीति को यदि कश्मीर मुद्दे से निपटने में अपनाया जाए तो आश्चर्यजनक परिणाम आ सकते हैं।

हुर्रियत ने कहा कि समस्याओं और विवादों को कभी न कभी तो सुलझाना होगा और शांतिपूर्ण बातचीत सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।

अपने घर में नजरबंद मीरवाइज उमर फारुक ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने लेख में भारत को ‘लोकतंत्र की जननी’ कहते हुए वैश्विक नेतृत्व की भूमिका की आकांक्षा व्यक्त की है तथा अपनी नीति रेखांकित की है जिसमें चुनौतियों का हल एक दूसरे से लड़कर नहीं बल्कि मिलकर काम करके और मरहम लगाने, सौहार्द लाने तथा आशाओं की बात करके ही लाया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर कश्मीर के मुद्दे से निपटने में भी इसी तरह की पहल अपनाई जाए तो पूरे क्षेत्र के लिए चौंकाने वाले परिणाम हो सकते हैं।’’

अलगाववादी समूह ने कहा कि दमन और बलपूर्वक कार्रवाई पर आधारित नीतियां लंबे समय तक नहीं चल पातीं और इतिहास के तथ्यों को नहीं बदल सकतीं।

हुर्रियत ने कश्मीर के बाहर की जेलों में सालों से बिना मुकदमे के बंद कश्मीरी नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, युवाओं और अन्य की दशा पर चिंता जताई।

उसने कहा, ‘‘उनकी दशा चिंताजनक है क्योंकि उन्हें जेलों में सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है।’’

हुर्रियत ने कहा कि वह सोमवार को घर में नजरबंदी के 40 महीने पूरे करने वाले मीरवाइज समेत सभी राजनीतिक बंदियों, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों तथा युवाओं की बिना शर्त रिहाई की मांग दोहराती है।

मीरवाइज उमर फारुक को चार अगस्त, 2019 को यहां उनके आवास पर नजरबंद कर लिया गया था। एक दिन बाद ही केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था।

हुर्रियत ने कहा, ‘‘मीरवाइज की यह न्यायिक प्रक्रिया से परे नजरबंदी किसी व्यक्ति के मौलिक मानवाधिकारों का पूरी तरह उल्लंघन है, जिसमें उनके खिलाफ कोई आरोप या नजरबंदी के कोई कारण नहीं बताये गये हैं।’’

भाषा वैभव प्रशांत

प्रशांत

 

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