नयी दिल्ली, 10 मई (भाषा) कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सामाजिक-आर्थिक गणना कराने और जाति-आधारित आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने के मुद्दे पर अपनी ‘चुप्पी’ तोड़नी चाहिए।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को जाति जनगणना पर सवालों का जवाब देना चाहिए।
रमेश ने कहा, “प्रधानमंत्री ने आज नंदुरबार में अपने बारे में कई दावे किये। इससे कई सवाल उठते हैं, लेकिन मैं सिर्फ तीन सवाल पूछना चाहता हूं – हर कोई जानता है कि वास्तविक संख्या सामने आए बिना हाशिए पर रहने वाले समुदायों को उनके अधिकार नहीं मिल सकते।”
उन्होंने पूछा, “पहला सवाल ये है कि 2021 में जनगणना क्यों नहीं हुई…? हर 10 साल के बाद जनगणना होती है। इस हिसाब से जनगणना 2021 में होनी चाहिए थी। आपने जनगणना में तीन साल की देरी क्यों की? आपने दलित और आदिवासी समुदायों को उनकी जनसंख्या के बारे में जानकारी लेने से क्यों रोका?”
उन्होंने कहा, “दूसरा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री अद्यतन सामाजिक-आर्थिक गणना चाहते हैं या नहीं? आपने अभी तक इस विषय पर अपनी चुप्पी क्यों नहीं तोड़ी?”
कांग्रेस नेता ने पूछा, “2011 में मनमोहन सिंह सरकार ने सामाजिक-आर्थिक और जाति गणना करवाई। आपने अभी तक जाति पर जानकारी क्यों नहीं जारी की ?”
भारत की 2011 की जनगणना के लिए सामाजिक-आर्थिक और जाति गणना (एसईसीसी) आयोजित की गई थी। मनमोहन सिंह सरकार ने 2010 में संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद सामाजिक-आर्थिक और जाति गणना 2011 को मंजूरी दी थी।
यह भारत की 1931 की जनगणना के बाद पहली जाति-आधारित गणना थी।
रमेश ने आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा पर भी प्रधानमंत्री का विचार जानना चाहा।
उन्होंने कहा, “तीसरा सवाल उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण पर लगाई गई 50 फीसदी की सीमा है। क्या प्रधानमंत्री इसे हटाएंगे? प्रधानमंत्री जनगणना से क्यों भाग रहे हैं? वह क्यों डरे हुए हैं?”
रमेश ने दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी जल्द ही “पद छोड़ने” वाले हैं और “कांग्रेस सरकार यह काम करेगी”।
शुक्रवार को महाराष्ट्र के नंदुरबार में एक रैली में मोदी ने कहा कि वह गरीबी में पले-बढ़े हैं और वह हाशिए पर रहने वाले समुदायों के संघर्ष को जानते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों और वंचित वर्गों की सेवा उनके लिए परिवार के सदस्यों की सेवा करने के समान है, उन्होंने कहा कि वह “कांग्रेस के शाही परिवार” की तरह नहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों के ‘चौकीदार’ होंगे।
भाषा प्रशांत नरेश
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