दीवानी विवादों में आरोप तय करते समय पुलिस और अदालतें सतर्क रहें: न्यायालय

दीवानी विवादों में आरोप तय करते समय पुलिस और अदालतें सतर्क रहें: न्यायालय

  •  
  • Publish Date - December 2, 2025 / 09:39 PM IST,
    Updated On - December 2, 2025 / 09:39 PM IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पुलिस को पक्षों के बीच लंबित दीवानी विवादों के मामलों में आरोप-पत्र दाखिल करने और आपराधिक अदालतों को आरोप तय करने में सावधानी बरतनी चाहिए।

न्यायमूर्ति नोंग्मीकापम कोटिश्वर सिंह और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि कानून के शासन से संचालित समाज में आरोप-पत्र दाखिल करने का निर्णय जांच अधिकारी के इस निर्धारण पर आधारित होना चाहिए कि एकत्र किए गए साक्ष्य दोषसिद्धि की उचित संभावना प्रदान करते हैं या नहीं।

पीठ ने कहा कि जिन मामलों में कोई ठोस संदेह नहीं बनता, उनमें आरोप-पत्र दाखिल करने की प्रवृत्ति न्यायिक प्रणाली को अवरुद्ध करती है और इससे न्यायाधीशों, अदालती कर्मचारियों और अभियोजकों को ऐसे मुकदमों में समय बर्बाद करना पड़ता है जिनमें बरी होने की संभावना होती है।

पीठ ने कहा कि इससे सीमित न्यायिक संसाधन मज़बूत और ज़्यादा गंभीर मामलों को संभालने से भटक जाते हैं, जिससे मामलों का बोझ बढ़ता जाता है।

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द करते हुए की, जिसमें गलत तरीके से रोकने, घूरने और आपराधिक धमकी के एक मामले में एक आरोपी द्वारा आरोपमुक्त करने की अर्जी खारिज कर दी गई थी।

न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले में, पुलिस और निचली अदालत को संज्ञान लेना चाहिए था, क्योंकि संपत्ति को लेकर एक लंबित दीवानी विवाद के साथ-साथ एक पूर्व निषेधाज्ञा आदेश भी मौजूद था।

भाषा

सुरेश पवनेश

पवनेश