देश के सभी सरकारी स्कूलों में स्थापित होगी ‘पोषण वाटिका’, स्थानीय आहार पर होगा जोर |

देश के सभी सरकारी स्कूलों में स्थापित होगी ‘पोषण वाटिका’, स्थानीय आहार पर होगा जोर

सभी स्कूलों में स्थापित होगी ‘पोषण वाटिका’, स्थानीय आहार पर होगा जोर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:56 PM IST, Published Date : September 30, 2021/6:48 pm IST

नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) सरकार स्कूलों में छात्रों को पौष्टिक भोजन प्रदान करने के क्रम में स्थानीय खाद्य पदार्थ अपनाने पर जोर देंगी और इस उद्देश्य से देश के करीब सात लाख सरकारी स्कूलों में एक-दो वर्ष में ‘‘पोषण वाटिका’’ स्थापित करने की तैयारी हो रही है । सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी, शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ‘भाषा’ को बताया कि सरकार बच्चों को प्रकृति और बागवानी का प्रत्यक्ष अनुभव देने के लिए स्कूलों में स्कूल पोषण उद्यानों के विकास को बढ़ावा दे रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘पीएम पोषण शक्ति निर्माण’ योजना को मंजूरी दी है जिसमें खास तौर पर ‘पोषण उद्यान’ स्थापित करने एवं बच्चों को पोषक भोजन प्रदान करने पर जोर दिया गया है।’’ मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश में अभी तक तीन लाख स्कूलों (सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त) में किचन/पोषण वाटिका है जो छात्रों के लिये ताजा सब्जियों के स्रोत हैं ।

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सूत्रों ने बताया, ‘‘ सरकार आने वाले एक-दो वर्ष में करीब सात लाख स्कूलों में पोषण उद्यान /वाटिका स्थापित करना चाहती है ताकि छात्रों को पौष्टिक आहार मिल सके ।’’ उन्होंने बताया कि जिस जिले में जो भी पोषक खाद्य पदार्थ प्रचलित होगा, उसे किचन/पोषण उद्यान से जोड़ा जायेगा। सूत्रों के अनुसार, ‘‘ केंद्र से आहार को लेकर कोई प्रारूप तय नहीं होगा बल्कि स्थानीय या जिला स्तर पर उपयोग में लाये जाने वाले पोषक खाद्य को शामिल किया जायेगा ।’’

शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन के संबंध में अब तक राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्र के लिये 10,11,375 रसोई सह भंडार मंजूर किये गए हैं जिनमें से 8,75,980 का निर्माण पूरा हो चुका है।

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मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2006-07 से 2019-20 के दौरान आंध्र प्रदेश में 41 प्रतिशत रसोई सह भंडार का निर्माण पूरा हुआ जबकि असम में 90 प्रतिशत, बिहार में 88 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 97 प्रतिशत, केरल में 45 प्रतिशत, कर्नाटक में 97 प्रतिशत, झारखंड में 76 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 100 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 92 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 83 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 92 प्रतिशत, गुजरात में 92 प्रतिशत रसोई सह भंडार का निर्माण पूरा हुआ है।