डाकघर विधेयक : विपक्ष ने डाक सामान को संदेह के आधार पर रोके जाने के प्रावधान पर जतायी चिंता

डाकघर विधेयक : विपक्ष ने डाक सामान को संदेह के आधार पर रोके जाने के प्रावधान पर जतायी चिंता

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  • Publish Date - December 4, 2023 / 05:21 PM IST,
    Updated On - December 4, 2023 / 05:21 PM IST

नयी दिल्ली, चार दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में सोमवार को विपक्ष के विभिन्न दलों ने भारतीय डाक सेवा को जन उपयोगी बनाये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए सरकार द्वारा डाकघरों के बारे में लाये एक विधेयक के इस प्रावधान पर कड़ी आपत्ति जतायी कि डाक से भेजे जाने वाले सामान को अधिकारियों द्वारा खोला, पकड़ा या जब्त किया जा सकता है।

उच्च सदन में डाकघर विधेयक 2023 पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि हमारे देश में डाक व्यवस्था के कई रूप थे किंतु करीब डेढ़ सौ साल पहले ब्रिटिश शासन ने उसे एकरूपता दी और भारतीय डाक को ‘‘एक नया रूप और रंग मिला।’’

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने यह काम जनता के हित के लिए नहीं बल्कि अपने शासन एवं व्यापारिक हितों के लिए किया था। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद हमारे देश के नेताओं ने बहुत सूझबूझ के साथ भारतीय डाकघर के लोगों की सेवा करने के उद्देश्य पर जोर दिया।

गोहिल ने कहा, ‘‘आज हम फक्र से कह सकते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ी और सबसे बेहतरीन डाक सेवा कहीं हैं, तो हमारे यहां है।’’ उन्होंने कहा कि ‘कुछ फर्जी डिग्री वाले एवं व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी वाले’ यह सवाल करते हैं कि देश में 70 साल में क्या हुआ तो उनको यह बताया जाना चाहिए कि इस दौरान दुनिया की सबसे बेहतरीन डाक सेवा दी गयी।

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह सार्वजनिक उपक्रमों को मारकर निजी क्षेत्र को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने सवाल किया कि टाई पहने कूरियर वाला मुंबई, दिल्ली और अहमदाबाद में तो डाक दे जाएगा किंतु क्या वह कच्छ के छोटे से गांव में कूरियर पहुंचाएगा?

कांग्रेस सदस्य गोहिल ने सरकार को यह नसीहत दी कि उसे इस मंशा से निकलना होगा कि लाभ कमाने वाले सार्वजनिक उद्यम यह काम करेंगे और सार्वजनिक उद्यम को बंद कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भी गांव गांव में लोगों को भारतीय डाक सेवा पर भरोसा है।

उन्होंने सरकार को आगाह किया कि यदि इस डाक सेवा को ‘मारने का प्रयास किया गया तो उससे आवाम का भला नहीं हो सकता है।’

गोहिल ने कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आता की वर्तमान सरकार पीएसयू द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर कैंची क्यों चलाना चाहती है?

उन्होंने विधेयक में भेजे जा रहे सामान को पकड़ने का अधिकार सरकार को देने संबंधी प्रावधान पर चिंता जताते हुए कहा कि निजता का अधिकार मूलभूत अधिकार है और लोगों की सुरक्षा के नाम पर सरकार को लोगों की निजता में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

गोहिल ने कहा कि अभी हाल में देखा गया कि जिस कंपनी का दुनिया में नाम है कि उसके साफ्टवेयर में कोई घुसपैठ नहीं कर सकता, ‘उससे हम जैसे सांसदों को यह संदेश मिला कि राज्य द्वारा प्रायोजित हैकर आपके मोबाइल को हैक करने का प्रयास कर रहे हैं। आखिर हम किस दिशा की ओर जा रहे हैं?’

उन्होंने कहा कि विधेयक के इस प्रावधान से लोगों का डाकिये पर जो विश्वास है, वह खत्म हो जाएगा।

चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि एक ओर जहां पहले डाकघर बंद किए जा रहे थे, वहीं वर्तमान सरकार के शासनकाल में पांच हजार से अधिक नये डाकघर खोले गये हैं और पांच हजार और खुलने जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि रोजगार कम होने की बात कहीं गयी किंतु पांच हजार नये डाकघर खुलने से कितने लोगों को रोजगार मिला होगा। उन्होंने कहा कि कोई पहले इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता था कि डाकघर निर्यात केंद्र बन जाएंगे।

तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि डाक सेवा से भेजी जाने वाले किसी भी सामान को अधिकारी जन सुरक्षा सहित विभिन्न कारणों को ध्यान में रखते हुए खोलकर देख सकते हैं, उसे अपने कब्जे में ले सकते हैं।

उन्होंने सरकार से प्रश्न किया कि अधिकारी भेजे जाने वाले समान को पकड़ने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाएंगे? उन्होंने कहा कि निर्धारित अधिकारी महज संदेह के आधार पर यह काम कर सकेगा। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रावधान मनमाना है।

राय ने कहा कि ऐसा करना कानून के शासन के विरूद्ध है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में निजी कूरियर सेवाओं के बारे में कुछ नहीं कहा गया है और उन्हें प्रस्तावित कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।

उन्होंने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह कानून बनने पर देश को निगरानी वाला राज्य बना देगा।

द्रमुक के पी विल्सन ने कहा कि यह विधेयक देश के डाकघरों को प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद नहीं करता है।

चर्चा में भाग लेते हुए आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने कहा कि वह 115 दिनों के निलंबन के बाद आज पहली बार नये संसद भवन में बोल रहे हैं। उन्होंने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इस विधेयक के प्रावधान डाकघर के अधिकारी को डाक से भेजे जाने वाले सामान को पकड़ने, पत्रों को पढ़ने या जब्त करने का अधिकार देता है। उन्होंने कहा कि इस बारे में क्या प्रक्रिया अपनायी जाएगी, विधेयक में उसका कोई उल्लेख नहीं है।

चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक ‘बिग ब्रदर सिंड्रोम’ से ग्रसित है जिसमें डाक विभाग लोगों की डाक, पत्रों को रोक सकते हैं, देख सकते हैं।

आप सदस्य ने कहा कि यह विधेयक निजता के अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, ‘‘निजता के अधिकार का उल्लंघन मेरे साथ और सदन के कई अन्य सदस्यों के साथ हुआ। हमें अपने एप्पल फोन पर एक सूचना मिली कि राज्य प्रायोजित हमलावरों ने आपके फोन को हैक कर लिया है।’’

उन्होंने कहा कि यह एक बहुत खतरनाक बात है कि यह सामान्य आदमियों के साथ नहीं सांसदों के साथ हुआ जिनमें ज्यादातर विपक्ष के सांसद हैं। उन्होंने मांग की कि इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति से जांच करवायी जाए।

जारी भाषा

माधव मनीषा

मनीषा