इस साल मॉनसून पूर्व मौसम भारत में दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा : सीएसई का अध्ययन |

इस साल मॉनसून पूर्व मौसम भारत में दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा : सीएसई का अध्ययन

इस साल मॉनसून पूर्व मौसम भारत में दूसरा सबसे गर्म मौसम रहा : सीएसई का अध्ययन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:03 PM IST, Published Date : July 7, 2022/7:48 pm IST

नयी दिल्ली, सात जुलाई (भाषा) इस साल गर्मी के मौसम ने देश में मॉनसून पूर्व दूसरे सर्वाधिक गर्म मौसम के तौर पर 2016 का रिकार्ड तोड़ दिया, जबकि सर्दियों का मौसम या मॉनसून बाद के मौसम में तेजी से तापमान बढ़ रहा है। सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरोंमेंट (सीएसई) के अर्बन लैब के नवीनतम विश्लेषण में यह कहा गया है।

अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली में भू-सतह का तापमान 2010 से सर्वाधिक रहा है और शहर में तापमान के सभी तीन मानदंडों पर उम्मीद से अधिक तापमान दर्ज किया गया।

गर्मी बढ़ने की प्रवृत्ति को समझने की कोशिश के तहत सीएसई ने सतह वायु तापमान, भू-सतह तापमान और सापेक्षिक आर्द्रता (उष्मा सूचकांक) की तापमान प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया।

अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में वायु तापमान 2010 की तुलना में 1.77 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा है और भू-सतह तापमान 1.95 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा है।

सीएसई के विश्लेषण में कहा गया है कि प्रतिदिन औसत उष्मा सूचकांक जून 2022 में 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। इसमें कहा गया है कि दिल्ली में मार्च और अप्रैल का महीना आमतौर पर सामान्य रहा लेकिन मई में छिटपुट स्थानों पर बारिश की बौछार पड़ने के साथ आर्द्रता बढ़नी शुरू हो गई। हालांकि, आर्द्रता में इस वृद्धि ने शहर में उष्मा सूचकांक को बढ़ा दिया जिससे संकेत मिलता है कि तापमान बढ़ने से लोगों ने असहजता महसूस की।

सीएसई के अध्ययन में कहा गया है, ‘‘सर्वाधिक भू-सतह तापमान 16 मई 2020 को दर्ज किया गया जब शहर में यह 53.9 डिग्री सेल्सियस रहा। इसके बाद मई 2022 में सर्वाधिक भू-सतह तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पिछले वर्षों में अधिकतम भू -सतह तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास दर्ज किया गया था।’’

अध्ययन में कहा गया है, ‘‘औद्योगिक और कृषि क्षेत्र में भू-सतह तापमान में मार्च से मई के बीच सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई। ’’

सीएसई ने कहा कि शहर में तापमान के किये गये इस विश्लेषण का उद्देश्य बेमौसम गर्म हवाओं से जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना है।

भाषा सुभाष पवनेश

पवनेश

 

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