संपूर्ण सेवा अभिलेखों के आधार पर समय पूर्व सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया जाना चाहिए: न्यायालय

संपूर्ण सेवा अभिलेखों के आधार पर समय पूर्व सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया जाना चाहिए: न्यायालय

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  • Publish Date - February 4, 2022 / 08:36 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:58 PM IST

नयी दिल्ली, चार फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि पूरे सेवा रिकॉर्ड के आधार पर समय से पहले सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, ‘संपूर्ण सेवा रिकॉर्ड को ध्यान में रखा जाना चाहिए जिसमें पदोन्नति से पहले की अवधि की एसीआर शामिल हों। समय पूर्व सेवानिवृत्ति के आदेश को पूरे सेवा रिकॉर्ड के आधार पर पारित करने की आवश्यकता है।’’

पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को खारिज करते हुए यह भी कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जनहित में है और सरकार की व्यक्तिपरक संतुष्टि पर पारित किया गया है।

इसने कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश केवल इस कारण से रद्द नहीं किया जा सकता कि असंप्रेषित प्रतिकूल टिप्पणियों को ध्यान में रखा गया था।

शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाले केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एक कांस्टेबल की समय से पहले सेवानिवृत्ति के आदेश को रद्द कर दिया गया था।

न्यायालय ने अपने पहले के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि अदालतों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति की शक्ति के प्रयोग में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, अगर यह वास्तविक और रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर होता है।

पीठ ने कहा, ‘यह माना गया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश सजा का आदेश नहीं है। यह सरकार का विशेषाधिकार है लेकिन यह सामग्री पर आधारित होना चाहिए और सरकार की व्यक्तिपरक संतुष्टि पर पारित किया जाना चाहिए।’

शीर्ष अदालत ने कहा कि कांस्टेबल के समय से पहले सेवानिवृत्ति के आदेश को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने खुद को पूरी तरह से गलत दिशा दी है।

पीठ ने कहा, ‘रिट याचिकाकर्ता को उसकी पदोन्नति से पहले कई सजाएं मिली हैं, जिसमें वर्ष 1993 में ड्यूटी पर रहते हुए एक ट्रांसपोर्टर से अवैध रिश्वत प्राप्त करना शामिल है। ड्यूटी से अनुपस्थिति रहने और छुट्टियां खत्म होने के बावजूद समय पर न पहुंचने के भी उस पर आरोप हैं…।’’

भाषा नेत्रपाल अनूप

अनूप