राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर का इस्तीफा मंजूर किया, किसान से जुड़े बिल का विरोध

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर का इस्तीफा मंजूर किया, किसान से जुड़े बिल का विरोध

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  • Publish Date - September 18, 2020 / 04:50 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:14 PM IST

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा मंजूर कर लिया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अब मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। खेती से जुड़े 3 विधेयकों के खिलाफ पंजाब के किसानों का गुस्सा देखते हुए बादल ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है। गुरुवार को शिरोमणि अकाली दल की नेता और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मिनिस्टर हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया था। 

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विरोध में हरसिमरत कौर के ये थे तर्क क्या कृषि मंडी खत्म होंगी? इस पर सरकार कहती है-राज्यों में चल रहीं मंडियां जारी रहेंगी। लेकिन,किसान के पास खुले बाजार में कहीं भी बेचने का हक भी होगा। विरोध में तर्क: शुरुआत में तो मंडियां चलेंगी पर धीरे-धीरे कॉरपोरेट कब्जा कर लेंगे। मंडियों का मतलब नहीं रह जाएगा।

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क्या समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा? सरकार कहती है- न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP बना रहेगा। सरकार MSP पर ही कृषि उपज की खरीदारी जारी रखेगी। विरोध में तर्क : जब कॉरपोरेट कंपनियां किसान से पहले ही कॉन्ट्रैक्ट कर लेंगी तो MSP की अहमियत ही खत्म हो जएगी।

उचित कीमत कैसे मिलेगी? सरकार कहती है- किसान देश में किसी भी बाजार या ऑनलाइन ट्रेडिंग से फसल बेच सकता है। कई विकल्पों से बेहतर कीमत मिलेगी। विरोध में तर्क- कीमतें तय करने का कोई सिस्टम नहीं होगा। प्राइवेट सेक्टर की ज्यादा खरीदारी से एक कीमत तय करने में दिक्कत होगी।

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कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में ठगी हुई तो क्या? सरकार कहती है- किसान को तय मिनिमम रकम मिलेगी। कॉन्ट्रैक्ट, किसान की फसल और इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित रहेगा। किसान की जमीन पर कोई कंट्रोल नहीं होगा। विवाद पर एडीएम 30 दिन में फैसला देगा। विरोध में तर्क : कॉरपोरेट या व्यापारी अपने हिसाब से फर्टिलाइजर डालेगा और फिर जमीन बंजर भी हो सकती है।

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संसद में पेश कृषि विधेयकों पर एनडीए के सबसे पुराने साथी शिरोमणि अकाली दल की नाराजगी गुरुवार को खुलकर सामने आ गई। लोकसभा में पास हुए 2 विधेयकों पर चर्चा के दौरान अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयकों के पक्ष में नहीं है। हालांकि, पार्टी का कहना है कि हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बावजूद शिरोमणि अकाली दल का मोदी सरकार को समर्थन जारी रहेगा।