कश्मीर में हालात सामान्य होने का दिखावा करना आत्महत्या की राह पर चलने जैसा है: पनुन कश्मीर

कश्मीर में हालात सामान्य होने का दिखावा करना आत्महत्या की राह पर चलने जैसा है: पनुन कश्मीर

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  • Publish Date - October 23, 2021 / 08:17 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:29 PM IST

जम्मू, 23 अक्टूबर (भाषा) प्रवासी कश्मीर पंडितों के एक प्रतिनिधि समूह ‘पनुन कश्मीर’ ने शनिवार को कहा कि कश्मीर में हालात सामान्य होने का दिखावा करना आत्महत्या की राह पर चलने जैसा है।

कश्मीर में हाल में हत्या की घटनाओं के बाद पनुन कश्मीर ने कहा कि सामान्य स्थिति होने का नाटक करना और घाटी में स्थिति की गंभीरता को कम करना ‘‘आत्महत्या के रास्ते पर चलने जैसा’’ होगा।

इस महीने घाटी में आतंकवादियों द्वारा अलग-अलग हमलों की घटनाओं में दो शिक्षकों, एक प्रमुख कश्मीरी पंडित फार्मेसी मालिक और पांच गैर-स्थानीय मजदूरों सहित ग्यारह लोग मारे गए थे।

पनुन कश्मीर के अध्यक्ष अजय चरूंगू ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत सरकार को तुष्टिकरण और इच्छापूर्ण सोच के बिना जम्मू-कश्मीर की स्थिति को समझना चाहिए। जम्मू-कश्मीर में जो हो रहा है, वह कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं है। यह केवल आतंकवाद की समस्या नहीं है।’’

उन्होंने दावा किया कि जो कुछ भी हो रहा है वह ‘जिहाद’ की स्पष्ट अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा, ‘‘सामान्य स्थिति का ढोंग करना और स्थिति की गंभीरता को कम करना पहले ही देश को बहुत महंगा पड़ चुका है और ऐसा करना जारी रखना आत्महत्या के रास्ते पर चलने जैसा होगा।’’

घाटी में रोजगार पैकेज के तहत नौकरी पाने वाले हजारों कश्मीरी प्रवासी पंडितों का जिक्र करते हुए, चुरूंगू ने कहा, “वे पिंजरे में बंद कबूतरों की तरह हैं और हर समय खतरे में रहते हैं।’’ जम्मू-कश्मीर में ‘‘जिहादी लड़ाई’’ को हराने और हिंदू नरसंहार को रोकने के लिए, उन्होंने कहा कि ‘‘जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान द्वारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने संबंधी घटनाक्रम ने कश्मीर को विभाजित करने के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता और तात्कालिकता पैदा कर दी है। कश्मीर से निकाले गए सभी हिंदुओं के स्थायी पुनर्वास के लिए झेलम नदी के उत्तर और पूर्व में पनुन कश्मीर का निर्माण और जम्मू को अलग करना क्षेत्र में शांति के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताएं हैं।’’

उन्होंने पाकिस्तान को ‘‘आतंकवादी देश’’ घोषित करने की भी मांग की।

भाषा देवेंद्र माधव

माधव