यूसीसी नियमों के प्रावधानों में संशोधन किया जा रहा: उत्तराखंड सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा

यूसीसी नियमों के प्रावधानों में संशोधन किया जा रहा: उत्तराखंड सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा

यूसीसी नियमों के प्रावधानों में संशोधन किया जा रहा: उत्तराखंड सरकार ने उच्च न्यायालय में कहा
Modified Date: October 18, 2025 / 04:53 pm IST
Published Date: October 18, 2025 4:53 pm IST

नैनीताल, 18 अक्टूबर (भाषा) उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन से संबंधित मामले में राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर यह स्पष्ट किया है कि यूसीसी नियमों के प्रावधानों में संशोधन किया जा रहा है।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष 15 अक्टूबर को महाधिवक्ता एस. एन. बाबुलकर की ओर से पेश 78 पृष्ठों के हलफनामे में कहा गया कि संशोधन, रजिस्ट्रार कार्यालय के नियम 380 से संबंधित हैं और इसमें उन शर्तों को सूचीबद्ध किया गया है जिनके तहत सहवासी संबंध (लिव-इन रिलेशनशिप) को पंजीकृत नहीं किया जा सकता है।

इन स्थितियों में वे शामिल हैं, जहां जोड़ीदार निषिद्ध स्तर के रिश्ते से संबंधित हों, एक या दोनों पहले से ही विवाहित हों या किसी अन्य सहवासी संबंध में रह रहे हों, या दोनों में से कोई एक नाबालिग हो।

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हलफनामे में बताया गया है कि प्रस्तावित बदलावों का उद्देश्य सहवासी संबंधों के पंजीकरण और उनकी समाप्ति की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और व्यावहारिक बनाना है। साथ ही, पुलिस के साथ सूचनाएं साझा करने में स्पष्टता लाना और अस्वीकृत आवेदनों के लिए अपील की अवधि को बढ़ाना भी शामिल है।

सहवासी संबंधों के पंजीकरण और पुलिस से सूचनाएं साझा करने से संबंधित नियमों के तहत, संशोधित प्रावधान रजिस्ट्रार और स्थानीय पुलिस के बीच डेटा साझा करने के दायरे को सीमित करेंगे जिससे यह स्पष्ट होगा कि ऐसा केवल रिकॉर्ड रखने के मकसद से ही किया जा रहा है।

इसी प्रकार से किसी सहवासी संबंध की समाप्ति की अधिसूचना से संबंधित नियमों में पंजीकरण प्रक्रिया की भांति एक स्पष्ट प्रावधान जोड़ा गया है कि पुलिस के साथ साझा किया गया विवरण ‘‘केवल रिकॉर्ड रखने के उद्देश्य से’’ होगा।

प्रस्तावित संशोधनों में यह भी शामिल है कि विभिन्न पंजीकरण और घोषणा प्रक्रियाओं में पहचान के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड का अनिवार्य उपयोग लचीला बनाया जाएगा। विशेषकर उन मामलों में जहां आवेदनकर्ता प्राथमिक नहीं हैं या आधार नंबर उपलब्ध नहीं करा सकते।

इसके अतिरिक्त, एक महत्वपूर्ण प्रावधान यह भी है कि यदि रजिस्ट्रार द्वारा सहवासी संबंध की घोषणा को अस्वीकार कर दिया जाए, तो उस निर्णय को चुनौती देने की समयसीमा 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन की जाएगी। यह अवधि अस्वीकृति आदेश प्राप्त होने की तारीख से मानी जाएगी।

भाषा सं दीप्ति खारी

खारी


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