रेलवे ने बोगियों की मरम्मत, कोयले की आवाजाही बढ़ाने पर 150 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए: आंकड़े

रेलवे ने बोगियों की मरम्मत, कोयले की आवाजाही बढ़ाने पर 150 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए: आंकड़े

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  • Publish Date - May 2, 2022 / 08:22 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

(अनन्या सेनगुप्ता)

नयी दिल्ली, दो मई (भाषा) रेलवे ने बिजली संयंत्रों तक कोयले की आवाजाही बढ़ाने के लिए पिछले चार महीनों में करीब 2,000 क्षतिग्रस्त और जीर्ण-शीर्ण बोगियों की मरम्मत पर 150 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में ऐसी लगभग 9,982 बोगियों को क्षतिग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, जिनकी संख्या दो मई तक घटकर 7,803 रह गई। रेलवे देश में कोयले की मांग के चरम पर पहुंचने के बीच समय पर 2,179 बोगियों की मरम्मत का कार्य किया।

अधिकारियों ने कहा कि प्रत्येक बोगी की मरम्मत के लिए राष्ट्रीय परिवाहक को लगभग पांच लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक का खर्च करना पड़ा। सूत्रों का कहना है कि बोगियों को नुकसान मंत्रालय के लिए चिंता का विषय बन गया है क्योंकि बिजली संयंत्रों द्वारा कोयले को उतारने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले निजी ठेकेदारों ने ‘मैन्युअल’ की जगह जेसीबी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘जेसीबी बोगियों के अंदरूनी हिस्से से टकराती हैं और उन्हें गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाती हैं। पहले, माल उतारने का काम मैन्युअल रूप से किया जाता था, अब यह जेसीबी के माध्यम से किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त बोगियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। हम तेज गति से इनकी मरम्मत कर रहे हैं और कोयले के लिए संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि मरम्मत तीन प्रकार की होती है – प्रमुख, मामूली और स्थानीय- और अनुमान है कि लगभग 2,179 बोगियों की मरम्मत के लिए रेलवे को 150 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च उठाना पड़ा है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एक जनवरी को 9,982 बोगियों को क्षतिग्रस्त दिखाया गया था और छह जनवरी तक यह संख्या बढ़कर 10,687 हो गई थी।

आंकड़ों के अनुसार, 11 जनवरी को क्षतिग्रस्त बोगियों की संख्या 9,839 थी और 21 जनवरी को यह 9,097 थी। 11 फरवरी को यह संख्या घटकर 7,267 रह गई तथा दो मई को बढ़कर 7,803 हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि रेलवे ने ऐसी बोगियों की मरम्मत के लिए पांच नए मरम्मत स्थल भी स्थापित किए हैं।

भाषा नेत्रपाल उमा

उमा