राजनाथ ने रक्षा मंत्रालय की भूमि संबंधी मुकदमों से निपटने की क्षमता को मजबूत करने के तरीके सुझाए
राजनाथ ने रक्षा मंत्रालय की भूमि संबंधी मुकदमों से निपटने की क्षमता को मजबूत करने के तरीके सुझाए
(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को इस बात पर प्रकाश डाला कि रक्षा भूमि संबंधी मुकदमेबाजी में समय और संसाधनों दोनों की खपत होती है और मुकदमेबाजी से निपटने की क्षमता को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने साथ ही इसे अधिक ‘‘तर्कसंगत और पूर्वानुमानित’’ बनाने के तरीकों को तलाशने की बात कही।
रक्षा संपदा दिवस के मौके पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में, उन्होंने एक ऐसे ‘‘तंत्र’’ को बनाने की भी सिफारिश की, जहां मामलों का समय, वर्तमान स्थिति, अगली सुनवाई, कानूनी सलाहकारों का प्रदर्शन वास्तविक समय में और एक ही स्थान पर उपलब्ध हों।
रक्षा संपदा विभाग आज रक्षा मंत्रालय के अधीन भारत सरकार की सबसे बड़ी भू-संपत्ति का प्रबंधन करता है।
यह कार्यक्रम दिल्ली छावनी के रक्षा संपदा भवन में आयोजित किया गया ।
अपने संबोधन में सिंह ने रक्षा संपदा संगठन को पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही का ‘‘उत्कृष्ट उदाहरण’’ बताया और यह प्रशासनिक लोकाचार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आवश्यक है।
उन्होंने रक्षा संपदा महानिदेशालय (डीजीडीई) की समय के साथ विकसित होने और जमीनी स्तर पर केंद्रित संगठन की भूमिका निभाने के लिए प्रशंसा करते हुए, संगठन से आग्रह किया कि वह एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के माध्यम से नवाचार और निरंतर सुधार की एक स्थायी संस्कृति विकसित करके भविष्य की चुनौतियों के लिए और भी अधिक तैयार रहे।
लंबे समय से चली आ रही समस्याओं के साथ-साथ नयी चुनौतियों का समाधान करने के लिए, सिंह ने कई सुझाव दिए, जिनमें हर साल ‘वार्षिक चुनौती विवरण’ की शुरुआत करना शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘‘किराया वसूली के पुराने मामलों, पट्टे के अनुपालन से संबंधित विवादों जैसे मुद्दों के लिए, हम अनुभवी अधिकारियों और नये दृष्टिकोण वाले युवा अधिकारियों तथा विशेषज्ञों को नए समाधान सुझाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। इससे न केवल छोटे-मोटे सुधार होंगे, बल्कि परिवर्तनकारी बदलाव भी आएगा। इससे संगठन एक ऐसे शिक्षण संस्थान के रूप में विकसित हो सकेगा जो चुस्त, भविष्य के लिए तैयार और समाधान-केंद्रित हो।’’
केंद्र ने 12 दिसंबर को संसद को सूचित किया था कि देशभर में लगभग 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि में से लगभग 11,152 एकड़ भूमि अतिक्रमण के अधीन है।
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही थी और यह भी कहा था कि देशभर में लगभग 8,113 एकड़ रक्षा भूमि ‘‘मुकदमेबाजी के अधीन’’ है।
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने डिजिटल भूमि अभिलेखों, उपग्रह से ली गई तस्वीरों के इस्तेमाल और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जैसी डीजीडीई की पहल की सराहना की, साथ ही पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्रों में किए गए प्रयासों का विशेष रूप से उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘छावनी क्षेत्रों को हरा-भरा और स्वच्छ बनाना, जल संरक्षण पर काम करना और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना यह दर्शाता है कि सुरक्षा और स्थिरता साथ-साथ चल सकती हैं।’’
सिंह ने कहा, ‘‘हर फाइल पर हस्ताक्षर करते समय, हर निर्णय लेते समय, हमें यह सोचना चाहिए कि क्या इससे हमारी संस्था की विश्वसनीयता मजबूत होगी। यह दृष्टिकोण हमारे संगठन, रक्षा तंत्र और अंततः हमारे राष्ट्र को और भी मजबूत बनाएगा। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।’’
भाषा
देवेंद्र पवनेश
पवनेश

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