सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की डी-प्लेटफॉर्मिंग का नियमन:अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब

सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की डी-प्लेटफॉर्मिंग का नियमन:अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब

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  • Publish Date - August 17, 2022 / 09:37 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:41 PM IST

नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार को यह बताने के लिए समय दिया कि क्या वह सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की ‘डी-प्लेटफॉर्मिंग’ से संबंधित मुद्दों को नियंत्रित करने के लिए कोई नियम तैयार कर रहा है।

‘डी-प्लेटफॉर्मिंग’ का आशय किसी उपयोगकर्ता के अकाउंट को सोशल मीडिया मंच से हटा देना है।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ट्विटर उपयोगकर्ताओं सहित कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के खातों को निलंबित करने और हटाने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे।

केंद्र सरकार के वकील कीर्तिमान सिंह ने अदालत से दो सप्ताह के बाद मामलों को सूचीबद्ध करने का आग्रह किया ताकि वह सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के ‘डी-प्लेटफॉर्मिंग’ पर किसी भी मसौदा नीति से संबंधित आगे के निर्देशों के साथ वापस आ सकें।

अदालत ने केंद्र से अपना रुख बताने को कहते हुए मामले को सितंबर में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

याचिकाकर्ता के ट्विटर अकाउंट के निलंबन के खिलाफ एक मामले में दायर अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता को ‘सामाजिक और तकनीकी प्रगति’ की आड़ में बाधित नहीं किया जा सकता है। केंद्र ने कहा कि सोशल मीडिया मंच को भारत के संविधान के अनुरूप नागरिकों के मौलिक अधिकार का सम्मान करना चाहिए।

यह भी कहा गया कि सोशल मीडिया मंच को अकाउंट को खुद बंद नहीं करना चाहिए या सभी मामलों में इसे पूरी तरह से निलंबित नहीं करना चाहिए। केंद्र सरकार ने कहा कि सोशल मीडिया अकाउंट की पूरी तरह से डी-प्लेटफॉर्मिंग भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 की भावना के खिलाफ है।

सरकार ने खुद को साइबरस्पेस में उपयोगकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का संरक्षक बताया। केंद्र ने कहा है कि एक सोशल मीडिया अकाउंट को केवल भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, अदालत के आदेश या सामग्री के पूरी तरह से गैरकानूनी होने जैसे कि यौन शोषण आदि के मामले में निलंबित या डी-प्लेटफॉर्म किया जा सकता है।

भाषा संतोष नरेश

नरेश