जोधपुर में आईआईटी और एम्स के अनुसंधानकर्ताओं ने बात करने वाले दस्ताने विकसित किये

जोधपुर में आईआईटी और एम्स के अनुसंधानकर्ताओं ने बात करने वाले दस्ताने विकसित किये

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  • Publish Date - November 29, 2021 / 04:57 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:40 PM IST

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), जोधपुर और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), जोधपुर के अनुसंधानकर्ताओं ने बोल पाने में असमर्थ लोगों के लिए कम कीमत के, ‘बातचीत करने वाले दस्ताने’ विकसित किये हैं।

इस उपकरण का पेटेंट करा लिया गया है और इसकी कीमत 5,000 रुपये से भी कम है। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता तथा ‘मशीन लर्निंग’ के सिद्धांतों का उपयोग कर स्वत: ही बोलता है और मूक व्यक्ति तथा सामान्य व्यक्ति के बीच संवाद कराता है।

अनुसंधान टीम के मुताबिक, यह उपकरण व्यक्ति को हाथ की मुद्रा को शब्द या पहले से रिकार्ड की गई आवाज में तब्दील कर, अशक्त व्यक्ति को प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम बनाएगा।

आईआईटी जोधपुर में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्राध्यापक सुमित कालरा ने कहा, ‘‘यह उपकरण लोगों को बगैर किसी भाषाई बाधा के, आज के वैश्विक युग में मुख्यधारा में वापस लाएगा। उपकरण के उपयोगकर्ताओं को सिर्फ एक बार सीखने की जरूरत होगी और वे अपनी जानकारी के साथ किसी भी भाषा में बातचीत करने में सक्षम होंगे।’’

कालरा ने कहा कि इसके अलावा उपकरण अशक्त व्यक्ति की मौलिक आवाज जैसी ही ध्वनि निकालेगा, जो उपकरण के उपयोग के दौरान प्राकृतिक प्रतीत होगा।

इस उपकरण में लगे सेंसर से विद्युतीय संकेत उत्पन्न होंगे। ये सेंसर उपयोगकर्ता के अंगूठे, उंगलियों और एक हाथ की कलाई में दस्ताने से जुड़े होंगे। इसी तरह दूसरे हाथ के दस्ताने से भी विद्युतीय संकेत उत्पन्न होंगे।

कालरा ने कहा कि ये विद्युतीय संकेत एक सिग्नल प्रोसेसिंग यूनिट में प्राप्त होंगे, जहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग का उपयोग कर संकेतों को स्वर व व्यंजन अक्षरों में अनुदित किया जाएगा। इसके बाद ध्वनि (ध्वनि संकेत) एक ऑडियो ट्रांसमीटर से उत्पन्न होगी।

भाषा सुभाष मनीषा

मनीषा