बेंगलुरु, नौ नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर बिना पंजीकरण के काम करने का आरोप लगाने वाले कांग्रेस नेताओं पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि उनके संगठन को व्यक्तियों के निकाय के रूप में मान्यता प्राप्त है।
भागवत ने आरएसएस द्वारा आयोजित एक आंतरिक प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में पूछा, ‘‘आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी, तो क्या आप उम्मीद करते हैं कि हम ब्रिटिश सरकार के पास पंजीकरण कराते?’’
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य नहीं बनाया।
भागवत ने स्पष्ट किया, ‘‘हमें व्यक्तियों के निकाय के रूप में वर्गीकृत किया गया है और हम मान्यता प्राप्त संगठन हैं।’’
उनके अनुसार, आयकर विभाग और अदालतों ने आरएसएस को व्यक्तियों का एक निकाय माना है और संगठन को आयकर से छूट दी गई है।
आरएसएस प्रमुख ने पूछा, ‘‘हमें तीन बार प्रतिबंधित किया गया। इसलिए सरकार ने हमें मान्यता दी है। अगर हमारा अस्तित्व नहीं था, तो उन्होंने किस पर प्रतिबंध लगाया?’’
भागवत ने कहा कि कई चीजें पंजीकृत नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं है।’’
आरएसएस द्वारा केवल भगवा ध्वज का सम्मान करने और भारतीय तिरंगे को मान्यता नहीं देने के मुद्दे पर भागवत ने कहा कि आरएसएस में भगवा को गुरु माना जाता है, लेकिन वह भारतीय तिरंगे का बहुत सम्मान करता है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘हमने हमेशा अपने तिरंगे का सम्मान किया और उसकी रक्षा की है।’’
भागवत की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल में कहा था कि आरएसएस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
उनके बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खरगे ने सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। उन्होंने आरएसएस की पंजीकरण संख्या और उसके वित्तपोषण के स्रोत पर भी सवाल उठाए।
भाषा सुरभि प्रशांत
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