न्यायालय ने केंद्र को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी मूल फाइल पेश करने कहा |

न्यायालय ने केंद्र को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी मूल फाइल पेश करने कहा

न्यायालय ने केंद्र को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी मूल फाइल पेश करने कहा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : November 23, 2022/8:33 pm IST

नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) निवार्चन आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति उच्चतम न्यायालय की पड़ताल के दायरे में आ गई है, जिसने इस सिलसिले में केंद्र से मूल रिकार्ड तलब करते हुए बुधवार को कहा कि वह (शीर्ष न्यायालय) जानना चाहता है कि कहीं कुछ अनुचित तो नहीं किया गया है।

गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था।

शीर्ष न्यायालय ने मूल फाइल पेश करने के अपने आदेश पर केंद्र की आपत्तियों को खारिज कर दिया। न्यायालय ने कहा कि वह जानना चाहता है कि नियुक्ति प्रक्रिया में क्या हर चीज सही थी, जैसा कि केंद्र सरकार ने दावा किया है।

न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि निर्वाचन आयुक्त के रूप में गोयल की नियुक्ति के लिए कहीं कुछ अनुचित कदम तो नहीं उठाया गया क्योंकि उन्हें हाल में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी गई थी।

पीठ ने सुनवाई जारी रहने के दौरान गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल देखने की न्यायालय की इच्छा पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी की आपत्तियों को खारिज कर दिया। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार शामिल हैं।

वेंकटरमणी ने कहा कि न्यायालय चुनाव आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के बड़े मुद्दे की सुनवाई कर रहा है और यह वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा उठाये गये व्यक्तिगत मामले पर गौर नहीं कर सकता।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस पर गंभीर आपत्ति जताता हूं और संविधान पीठ की सुनवाई के बीच न्यायालय के फाइल देखने पर मुझे आपत्ति है।’’

पीठ ने कहा कि उसने पिछले बृहस्पतिवार को, निर्वाचन आयुक्त और सीईसी की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था की मांग करने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई शुरू की है तथा गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया।

पीठ ने कहा कि इसलिए न्यायालय यह जानना चाहता है कि यह कदम उठाने के लिए किस बात ने प्रेरित किया था।

पीठ ने अटार्नी जनरल से कहा, ‘‘हम देखना चाहते हैं कि क्या प्रक्रिया अपनाई गई। हम इसे कानूनी कार्यवाही के रूप में नहीं लेंगे और इसे अपने रिकार्ड के लिए रखेंगे, लेकिन हम जानना चाहते हैं क्योंकि आपने दावा किया है कि हर चीज सही है। चूंकि हम विषय की सुनवाई कर रहे हैं और इसके बीच नियुक्ति हुई है, इनका आपस में संबंध हो सकता है। आपके पास कल तक का वक्त है। दस्तावेज पेश करें।’’

सुनवाई की शुरूआत में भूषण ने कहा कि न्यायालय द्वारा विषय की सुनवाई शुरू किये जाने के बाद सरकार ने आनन-फानन में एक निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया।

भूषण याचिकाकर्ता अनूप बर्णवाल की ओर से पेश हुए और अपनी प्रत्युत्तर दलील दी। उन्होंने कहा , ‘‘यह निर्वाचन आयुक्त बृहस्पतिवार तक सरकार में सचिव स्तर के एक अधिकारी के रूप में सेवा दे रहे थे। अचानक, उन्हें शुक्रवार को वीआरएस दे दिया गया और निर्वाचन आयुक्त नियुक्त कर दिया गया।’’

भूषण ने कहा कि उन्होंने (सरकार ने) एक दिन में किसी व्यक्ति को नियुक्त कर दिया और कोई नहीं जानता कि क्या प्रक्रिया अपनाई गई तथा किन मानदंडों का पालन किया गया।

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि जहां तक उन्हें याद है, एक व्यक्ति को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने में तीन महीने का वक्त लगता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आपको(सरकार को) इस अधिकारी की नियुक्ति से संबंधित मूल फाइल हमारे समक्ष पेश करने की जरूरत है। यदि कुछ अवैध नहीं किया गया है तो आपको डरने की जरूरत नहीं है।’’

न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि न्यायालय सिर्फ यह देख रहा है कि क्या सबकुछ प्रक्रिया के मुताबिक हुआ है।

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1985 बैच के पंजाब कैडर के अधिकारी गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया।

वह 60 वर्ष के होने पर 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे। अपनी नयी भूमिका संभालने के बाद, गोयल मौजूदा सीईसी राजीव कुमार के फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त होने के बाद अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे।

मई में, पूर्ववर्ती सीईसी सुशील चंद्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद निर्वाचन आयोग में एक रिक्ति हुई थी।

भाषा

सुभाष माधव

माधव

 

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