बीपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति के खिलाफ जनहित याचिका न्यायालय ने खारिज की

बीपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति के खिलाफ जनहित याचिका न्यायालय ने खारिज की

बीपीएससी अध्यक्ष की नियुक्ति के खिलाफ जनहित याचिका न्यायालय ने खारिज की
Modified Date: July 18, 2025 / 01:54 pm IST
Published Date: July 18, 2025 1:54 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) अध्यक्ष परमार रवि मनुभाई की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और अतुल एस चंदूरकर की पीठ ने वकील याचिकाकर्ता ब्रजेश को ऐसी तथ्यरहित जनहित याचिकाएं (जनहित याचिका) दायर करने के खिलाफ आगाह भी किया। पीठ ने कहा, ‘‘अगर आप जनहित याचिका दायर कर रहे हैं, तो आपको इसे पूरी जिंदगी समर्पित करनी होगी… कृपया प्रचार के चक्कर में नहीं पड़े।’’

शीर्ष अदालत ने तीन फरवरी को बिहार सरकार और मनुभाई से याचिका पर जवाब मांगा था। पीठ ने इस मामले में अधिवक्ता वंशजा शुक्ला को न्यायमित्र नियुक्त किया था।

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याचिका में 15 मार्च, 2024 को की गई नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा गया था कि यह केवल ‘बेदाग चरित्र’ वाले लोगों को लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या सदस्य के रूप में नियुक्त करने के संवैधानिक अधिदेश के खिलाफ है।

जनहित याचिका में कहा गया था कि परमार बिहार सतर्कता ब्यूरो द्वारा दर्ज कथित भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी हैं और मामला पटना के एक विशेष न्यायाधीश के समक्ष लंबित है।

याचिका में कहा गया था, ‘‘इस प्रकार, प्रतिवादी संख्या दो (परमार) पर भ्रष्टाचार और जालसाजी के गंभीर आरोप हैं और इस प्रकार उनकी ईमानदारी संदिग्ध है, इसलिए उन्हें बीपीएससी का अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए था।’’

याचिका में दावा किया गया था कि परमार अध्यक्ष के संवैधानिक पद पर नियुक्ति के लिए बुनियादी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं, क्योंकि वे बेदाग चरित्र वाले व्यक्ति नहीं हैं।

भाषा

अमित नरेश

नरेश


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