नयी दिल्ली, दो अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने 2जी स्पेक्ट्रम मामले में न्यायालय के 2012 के फैसले में संशोधन के अनुरोध वाली केंद्र की याचिका को विचारार्थ स्वीकार करने से संभवत: इनकार कर दिया है।
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि सरकार देश के प्राकृतिक संसाधनों के हस्तांतरण में नीलामी का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य है।
सूत्रों ने बताया कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने सरकार की याचिका को ‘‘गलत व्याख्या’’ वाली और स्पष्टीकरण के अनुरोध की आड़ में फैसले पर पुनर्विचार का प्रयास करार दिया।
रजिस्ट्रार ने उच्चतम न्यायालय नियमावली 2013 के आदेश-15 नियम-5 के प्रावधानों के अनुरूप इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
उच्चतम न्यायालय के नियम के अनुसार, ‘‘रजिस्ट्रार इस आधार पर याचिका लेने से इनकार कर सकता है कि इसमें कोई उचित कारण नहीं है या इसमें अपवादजनक मामला है, लेकिन याचिकाकर्ता इस तरह के आदेश के 15 दिनों के भीतर प्रस्ताव के माध्यम से अपील कर सकता है।’’
नियम में कहा गया है कि केन्द्र रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अपील कर सकता है।
शीर्ष अदालत ने दो फरवरी 2012 के अपने फैसले में जनवरी 2008 में दूरसंचार मंत्री के रूप में ए. राजा के कार्यकाल के दौरान विभिन्न कंपनियों को दिए गए 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस रद्द कर दिए थे।
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने 22 अप्रैल को प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ के समक्ष अर्जी का उल्लेख किया था।
शीर्ष कानून अधिकारी ने पीठ से अर्जी को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था और कहा था कि याचिका 2012 के फैसले में संशोधन का अनुरोध करती है, क्योंकि केंद्र कुछ मामलों में 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस देना चाहता है।
गैर-सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आवेदन का विरोध किया और कहा कि शीर्ष अदालत ने नीलामी संबंधी अपने फैसले में इस मुद्दे को अच्छी तरह से सुलझा लिया था।
संबंधित गैर-सरकारी संगठन उन याचिकाकर्ताओं में शामिल था जिनकी याचिकाओं पर न्यायालय ने फरवरी 2012 में अपना निर्णय दिया था।
इस साल 22 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में राजा और 16 अन्य को बरी करने के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की अपील को स्वीकार कर लिया था, जिससे एजेंसी द्वारा याचिका दायर करने के छह साल बाद मामले की पुन: सुनवाई का मार्ग प्रशस्त हो गया।
सीबीआई की अपील स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि निचली अदालत के फैसले में ‘कुछ विरोधाभास’ थे, जिनकी ‘गहन पड़ताल’ की आवश्यकता है।
विशेष अदालत ने 21 दिसंबर 2017 को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से संबंधित सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामलों में राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई और अन्य को बरी कर दिया था।
सीबीआई ने 20 मार्च 2018 को विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
एजेंसी ने आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया के चलते राजकोष को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
भाषा
शोभना सुरेश
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