तमिलनाडु में कार्यस्थलों पर महिलाकर्मी के बैठने की व्यवस्था से स्वस्थ माहौल बनेगा : सीटू |

तमिलनाडु में कार्यस्थलों पर महिलाकर्मी के बैठने की व्यवस्था से स्वस्थ माहौल बनेगा : सीटू

तमिलनाडु में कार्यस्थलों पर महिलाकर्मी के बैठने की व्यवस्था से स्वस्थ माहौल बनेगा : सीटू

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 09:00 PM IST, Published Date : September 7, 2021/5:14 pm IST

चेन्नई, सात सितंबर (भाषा) तमिलनाडु ने पड़ोसी राज्य केरल का अनुकरण करते हुए दुकानों और प्रतिष्ठानों में सामान की बिक्री करने वाले कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की पहल की है। सरकार पर इस संबंध में विधानसभा में विधेयक लाने के लिए दबाव बनाने वाले संगठन ‘सीटू’ ने कहा कि इससे कामगार वर्ग को स्वस्थ माहौल मिलेगा।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स (सीटू) की तमिलनाडु समिति के अध्यक्ष सौंदर्यराजन ने कहा कि इससे ग्राहकों के नहीं आने पर भी लगातार खड़े रहने से बचने के साथ-साथ कामगारों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।

हालांकि, सरकार के इस कदम से उद्योग संघ और कार्यकर्ता खुश नहीं है और उनका दावा है कि सभी कर्मचारियों के लिए जगह की कमी की वजह से बैठने की व्यवस्था करना व्यावहारिक नहीं है। बता दें कि इस बदलाव के लिए सोमवार को राज्य के श्रम कल्याण और कौशल विकास मंत्री सीवी गणेशन ने विधानसभा में तमिलनाडु दुकान और प्रतिष्ठान अधिनियम-1947 संशोधन विधेयक पेश किया जिसमें दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के बैठक की व्यवस्था को अनिवार्य करने का प्रावधान है।

सौंदर्यराजन ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’से कहा, ‘‘ यह विधेयक हमारे लंबे संघर्ष का नतीजा है, खासतौर पर महिला सदस्यों की जिन्होंने महिला कर्मियों के लिए दुकानों में बैठने की व्यवस्था की मांग की जो बैठने की व्यवस्था नहीं होने पर गर्भाशय की समस्या का सामना करती हैं और कई पुरुष ‘वेरिकोस वेन’ से ग्रस्त हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि केरल में इसी तरह का कानून 2018 में पारित होने के बाद सीटू ने तमिलनाडु सरकार से भी ऐसा ही कानून बनाने की मांग की।

कंसोर्टियम ऑफ इंडियन एसोसिएशन्स के समन्वयक केई रघुनाथन ने कहा, ‘‘ यह अधिक दयापूर्ण विधेयक है। जो नियोक्ता पहले ही अपने कर्मचारियों का ख्याल रखते हैं, उन्हें इसकी जरूरत नहीं है लेकिन चिंता इस बात की है जो अपने कर्मियों का ख्याल नहीं रखते, उनसे कैसे यह सुनिश्चित कराया जाएगा?’’

उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर जब ग्राहक आएंगे तो कर्मचारी बैठेगा नहीं, खासतौर पर जब अलमारी में रखे सामान दिखाने हों। जब ग्राहक नहीं होता, तो उन्हें टेबल पर रखे सामान को वापस उसके स्थान पर रखना होता है। ऐसे में कैसे हम अनुमान लगा सकते हैं कि उनके लिए बैठने के लिए आदर्श समय क्या है?’’

रघुनाथन ने पूछा और आश्चर्य व्यक्त किया कि अगर नियोक्ता कुर्सी मुहैया कराए और कर्मचारी खड़े रहने का ही फैसला करे तो क्या होगा। उस परिस्थिति में किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

अधिकार कार्यकर्ता वी सुब्रमण्यम ने तर्क दिया कि यह कदम ‘अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग जैसे क्षेत्र में कर्मचारी को बैठकर काम करने की जरूरत होती है जबकि दुकान और मॉल में कर्मचारी को ग्राहकों की सेवा के लिए एक पैर पर खड़े रहने की जरूरत होती है। व्यावहारिक रूप से दुकानों में जगह की कमी की वजह से इसे लागू करना संभव नहीं है।

कपड़े की दुकान में काम करने वाली शांति ने बताया, ‘‘अधिकतर समय ग्राहक नहीं होने पर हमें दीवार की टेक लगाकर खड़े रहना पड़ता है या फर्श पर बैठना पड़ता है, उम्मीद है कि हमारे लिए कुर्सी होगी ताकि कुछ समय हम पैरों को आराम दे सकें।’’

भाषा धीरज पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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