वरिष्ठ नागरिकों ने जेएनयू के बाहरी क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाने, सार्वजनिक शौचालय बनाने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र |

वरिष्ठ नागरिकों ने जेएनयू के बाहरी क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाने, सार्वजनिक शौचालय बनाने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

वरिष्ठ नागरिकों ने जेएनयू के बाहरी क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाने, सार्वजनिक शौचालय बनाने के लिए प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

:   Modified Date:  January 29, 2023 / 06:46 PM IST, Published Date : January 29, 2023/6:46 pm IST

नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में विरोध प्रदर्शनों से दिल्ली के मुनिरका विहार में रहने वाले वरिष्ठ नागरिक परेशान हैं। वे न केवल शोरशराबे या यातायात जाम से परेशान हैं बल्कि शौचालयों का इस्तेमाल करने के लिए अजनबी लोगों द्वारा उनके दरवाजों पर दस्तक दिए जाने से भी उनका जीवन प्रभावित हो रहा है।

स्थानीय निवासियों ने कहा कि इलाके में सार्वजनिक शौचालयों की कमी के कारण भी लोग खुले में पेशाब कर रहे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में दुर्गंध आ रही है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

इलाके के ‘सीनियर सिटीजन फोरम’ ने अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस मुद्दे पर पत्र लिखकर रॉक गार्डन, मुनिरका के निकट बाबा गंग नाथ मार्ग पर सार्वजनिक सुविधा केंद्र के निर्माण और सुरक्षा कारणों से सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी मांग की।

फोरम ने 12 दिसंबर, 2022 के पत्र में उल्लेख किया कि मुनिरका विहार में डीडीए के फ्लैट ज्यादातर केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 1977 में आवंटित किए गए थे और ज्यादातर निवासी अब वरिष्ठ नागरिक हैं।

स्थानीय लोगों ने दावा किया कि विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति और खराब हो गई, जो मुनिरका विहार के ठीक सामने स्थित है।

उन्होंने आरोप लगाया कि चूंकि कोई सार्वजनिक सुविधा बूथ नहीं है, इसलिए विश्वविद्यालय के बाहर तैनात पुलिसकर्मी और मीडियाकर्मी शौचालयों का इस्तेमाल करने के लिए अक्सर वहां रहने वाले लोगों का दरवाजा खटखटाते हैं।

फोरम के सदस्य पी. एन. मल्होत्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कई बार इन मुद्दों को उठाया गया लेकिन उनके समाधान के लिए कभी कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘शौचालय नहीं होने के कारण महिला पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पुरुष खुले में पेशाब कर सकते हैं लेकिन यह भी गलत है। विश्वविद्यालय के बाहर तैनात महिला पत्रकारों के पास हमारे दरवाजे पर दस्तक देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’’

मल्होत्रा ​​ने कहा, ‘‘हम उनकी मदद करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हम असुरक्षित भी महसूस करते हैं क्योंकि बाहर सुरक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे लगाना और सार्वजनिक सुविधा बूथ बनाया जाना आवश्यक है।’’

एक अन्य निवासी, के. सी. पाठक ने भी इस मुद्दे पर प्रकाश डाला और कहा कि पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों के लिए एक सार्वजनिक सुविधा बूथ जेएनयू गेट के बाहर बनाया जाना चाहिए क्योंकि विरोध प्रदर्शन अक्सर कई दिनों तक जारी रहते है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस सुविधा का इस्तेमाल राहगीर भी कर पायेंगे।

जेएनयू में विरोध प्रदर्शन और पुलिसकर्मियों की तैनाती अब एक आम बात हो गई है, जिससे इलाके के निवासियों को असुविधा होती है।

सीसीटीवी निगरानी की आवश्यकता पर जोर देते हुए निवासी सतवंत कौर ने कहा कि इसकी बहुत आवश्यकता है क्योंकि क्षेत्र के कई निवासी वरिष्ठ नागरिक हैं और कुछ अकेले भी रहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उनके घरों में चोरी और सेंधमारी का खतरा रहता है।’’

भाषा देवेंद्र नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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