सार्वजनिक इंटरफेस की आवश्यकता वाली सेवाएं 31 जुलाई तक ऑनलाइन उपलब्ध हों : सक्सेना

सार्वजनिक इंटरफेस की आवश्यकता वाली सेवाएं 31 जुलाई तक ऑनलाइन उपलब्ध हों : सक्सेना

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  • Publish Date - June 25, 2022 / 06:22 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:29 PM IST

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से कहा है कि वह सार्वजनिक इंटरफेस की आवश्यकता वाली अपनी सभी सेवाओं को जुलाई के अंत तक आईटी-सक्षम और ऑनलाइन कर दे। यह जानकारी शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान में दी गयी है।

राज निवास द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि उपराज्यपाल ने शुक्रवार को एक बैठक के दौरान नगर निकाय द्वारा की जा रही आईटी पहल की समीक्षा की और संबंधित निर्देश जारी किया।

बयान में कहा गया है कि एमसीडी द्वारा जन्म और मृत्यु के पंजीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत किये जाने के साथ, सक्सेना ने इस डेटाबेस को उन सरकारी विभागों से जोड़ने का आदेश दिया, जो खाद्य सुरक्षा, पेंशन, मातृत्व लाभ और अन्य कल्याणकारी योजनाओं से संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं, ताकि जन्म या मृत्यु पर नामों को स्वत: अद्यतन या हटाने में सक्षम बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि सभी नागरिक केंद्रित सेवाओं, जैसे जन्म और मृत्यु का पंजीकरण, संपत्ति कर दाखिल करना, ई-म्यूटेशन, भवन योजना मंजूरी, लेआउट अनुमोदन, लाइसेंस जारी करना, रूपांतरण और पार्किंग शुल्क, विज्ञापन और जमाखोरी शुल्क संग्रह, दाह संस्कार और दफनाने तथा कचरा ढोने वाले वाहनों को ट्रैक करना आदि को अब तक ‘‘टुकड़ों में’’ कम्प्यूटरीकृत करने की योजना बनाई जा रही है।

सक्सेना ने कहा कि इन सेवाओं को सामान्य व सुलभ प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन लाया जाना चाहिए और इन्हें 31 जुलाई तक पूरी तरह से आईटी-सक्षम बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन और आईटी-सक्षम सेवाओं से फंड लीकेज बंद हो सकेगा तथा ‘छद्म लाभार्थियों’ को फायदा पहुंचाये जाने पर रोक लगेगी।

बयान में कहा गया है कि सक्सेना ने अधिकारियों को राजस्व वृद्धि के सभी संभावित तरीकों का पता लगाने का निर्देश दिया और ‘‘एमसीडी की खराब वित्तीय स्थिति को मजबूत स्थिति में बदलने’’ के अपने संकल्प को दोहराया।

उन्होंने अधिकारियों को संपत्ति कर फाइलिंग, संग्रह, मूल्यांकन और वसूली के क्षेत्र में पूर्ण स्वचालन (ऑटोमेशन) प्राप्त करने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा कि शहर की सीमा के भीतर, वाणिज्यिक से लेकर आवासीय, सभी संपत्तियों को एमसीडी की आय बढ़ाने के लिए कर के दायरे में लाया जाना चाहिए और ताकि यह बेहतर सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हों।

भाषा

सुरेश दिलीप

दिलीप