हर राज्य में एनजीटी पीठ की स्थापना से लोग पर्यावरण से जुड़े मुद्दे उठाने को प्रेरित होंगे: न्यायालय |

हर राज्य में एनजीटी पीठ की स्थापना से लोग पर्यावरण से जुड़े मुद्दे उठाने को प्रेरित होंगे: न्यायालय

हर राज्य में एनजीटी पीठ की स्थापना से लोग पर्यावरण से जुड़े मुद्दे उठाने को प्रेरित होंगे: न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:47 PM IST, Published Date : April 5, 2022/10:37 pm IST

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हर राज्य में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की पीठ गठित करने से लोगों को पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि हर मामला अंततः शीर्ष अदालत में आता है।

पीठ ने कहा, ‘हम इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं, लेकिन विधायिका इस संबंध में मूक रही है। हम इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं, लेकिन यह शब्द है। हर मामला अंत में इस अदालत में समाप्त होता है।’

केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि शीर्ष अदालत में वैधानिक अपील का प्रावधान करना विधायिका का विशेषाधिकार है।

पीठ ने वेणुगोपाल से पूछा कि क्या प्रत्येक राज्य में एनजीटी की पीठ होना संभव होगा।

इसने कहा, ‘एनजीटी की प्रत्येक राज्य में एक पीठ क्यों नहीं हो सकती? यह मददगार होगी और बोझ को हल्का करेगी तथा चिंताओं को दूर करेगी एवं अधिक लोगों को पर्यावरण संबंधी मुद्दों को उठाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।’

वेणुगोपाल ने कहा कि अधिकरण अत्यधिक विशिष्ट निकाय हैं और उन्हें उच्च न्यायालयों से कमतर नहीं कहा जा सकता है।

शीर्ष अदालत राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम की धारा 3 (न्यायाधिकरण की स्थापना) को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन द्वारा चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता सिद्धार्थ गुप्ता ने शीर्ष अदालत के एक फैसले का हवाला दिया और कहा कि न्याय तक पहुंच मौलिक अधिकार का एक पहलू है।

पीठ ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और पक्षों से पांच दिनों के भीतर लिखित अभिवेदन दाखिल करने को कहा।

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

 

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