(तस्वीरों के साथ)
नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार में बच्चों के एक अस्पताल में आग लगने से सात नवजात शिशुओं की मौत हो गयी और पांच अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि अस्पताल लाइसेंस की अवधि समाप्त हो जाने और अग्निशमन विभाग से मंजूरी नहीं मिलने के बाद अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था।
पुलिस ने रविवार को बताया कि उन्होंने अस्पताल के मालिक डॉ. नवीन किची और डॉ. आकाश को गिरफ्तार कर लिया है। उसने बताया कि डॉ. आकाश शनिवार रात घटना के वक्त ड्यूटी पर थे।
जिलाधिकारी (शाहदरा) ऋषिता गुप्ता द्वारा दिल्ली मंडल आयुक्त को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार, घटना के समय अस्पताल में 12 बच्चे भर्ती थे। एक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 11 को आसपास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां छह को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।
घटना में जान गंवाने वाले बच्चों में चार लड़के और तीन लड़कियां शामिल हैं। 25 दिन के एक बच्चे को छोड़कर अन्य सभी 15 दिन के थे।
पुलिस ने कहा कि शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेज दिया गया है।
विवेक विहार पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 336 (दूसरों के जीवन और व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कार्य) और 304ए (लापरवाही से मौत), 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए सजा) और 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस उपायुक्त (शाहदरा) सुरेंद्र चौधरी ने कहा कि आग लगने का प्रारंभिक कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है, लेकिन जांच जारी है।
दिल्ली सरकार ने अग्निकांड की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। एक आदेश में, संभागीय आयुक्त अश्विनी कुमार ने शाहदरा की जिलाधिकारी को घटना की जांच करने का निर्देश दिया।
पुलिस ने कहा कि लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के अलावा, अस्पताल में योग्य डॉक्टर भी नहीं थे और अग्निशमन विभाग से कोई मंजूरी भी नहीं ली गई थी।
पुलिस उपायुक्त (शाहदरा) ने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) द्वारा ‘बेबी केयर न्यू बोर्न चाइल्ड हॉस्पिटल’ को जारी किया गया लाइसेंस 31 मार्च को ही समाप्त हो चुका है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि उक्त अस्पताल को जारी किया गया लाइसेंस भी केवल पांच बिस्तरों की ही अनुमति देता है।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘जांच के दौरान, हमें पता चला कि इस अस्पताल के डॉक्टर गहन देखभाल की आवश्यकता वाले नवजात शिशुओं के इलाज के लिए योग्य/सक्षम नहीं हैं, क्योंकि वे केवल बीएएमएस डिग्री धारक हैं।’’
पुलिस ने कहा कि अस्पताल में आग लगने की स्थिति से निपटने के लिए वहां कोई अग्निशामक यंत्र नहीं लगाया गया था और इसके अलावा किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में अस्पताल में कोई आपातकालीन निकास भी नहीं था।
इस बीच, अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अस्पताल ने विभाग से कोई एनओसी नहीं ली थी।
दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल में शनिवार रात करीब 11:30 बजे आग लग गई और जल्द ही यह दो अन्य इमारतों में भी फैल गई।
संभागीय अग्निशमन अधिकारी राजेंद्र अटवाल ने कहा कि आग पर काबू पाने के लिए दमकल की 16 गाड़ियों को लगाया गया।
उन्होंने बताया कि दो मंजिला इमारत में रखे ऑक्सीजन सिलेंडर में विस्फोट हुआ, जिससे आसपास की इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं।
एक अन्य अग्निशमन अधिकारी ने कहा कि घटना में दो बुटीक, बगल की इमारत में संचालित इंडसइंड बैंक का एक हिस्सा और भूतल पर स्थित एक दुकान भी क्षतिग्रस्त हो गई। इसके अलावा इमारत के बाहर खड़ी एक एम्बुलेंस और एक स्कूटी भी क्षतिग्रस्त हुई है।
चौधरी ने कहा कि अस्पताल के मालिक नवीन किची, जो पश्चिम विहार इलाके में रहते हैं, बाल चिकित्सा में एमडी हैं और अपनी दंत चिकित्सक पत्नी डॉ. जागृति के साथ इस अस्पताल का संचालन करते हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपराज्यपाल वीके सक्सेना और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हादसे पर दुख व्यक्त किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने घटना को हृदय विदारक बताते हुए प्रत्येक मृतक के लिए दो-दो लाख रुपये अनुग्रह राशि की घोषणा की।
केजरीवाल ने कहा कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार रहे लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी कहा कि लापरवाही बरतने वाले या गलत काम में लिप्त लोगों को सख्त से सख्त सजा दी जाएगी।
घटना के बाद, जीटीबी अस्पताल पहुंची शाहदरा की जिलाधिकारी को बच्चों के परिवार के सदस्यों के गुस्से का सामना करना पड़ा, जिन्होंने ‘‘हमें इंसाफ चाहिए’’ नारे लगाए।
भाषा
सुभाष प्रशांत
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