गोवा विधानसभा चुनाव लड़ना शिवसेना, राकांपा के लिए कभी आसान नहीं रहा है: आंकड़े |

गोवा विधानसभा चुनाव लड़ना शिवसेना, राकांपा के लिए कभी आसान नहीं रहा है: आंकड़े

गोवा विधानसभा चुनाव लड़ना शिवसेना, राकांपा के लिए कभी आसान नहीं रहा है: आंकड़े

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:45 PM IST, Published Date : January 22, 2022/6:42 pm IST

पणजी, 22 जनवरी (भाषा) महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ सहयोगी दल, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने गोवा में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पहली बार गठबंधन किया है। हालांकि, आंकड़ों के अनुसार इस तटीय राज्य (गोवा) में इन दोनों दलों के लिए सिर्फ अपने बूते सीटें जीतना कभी आसान नहीं रहा है। पूर्व के चुनावों में कई मौकों पर इन दोनों दलों के उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई है।

पिछले चुनावों के आंकड़ों से पता चलता है कि गोवा में मिले वोटों की संख्या के मामले में शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने शिवसेना से बेहतर प्रदर्शन किया है। शिवसेना 1989 से गोवा में चुनाव लड़ रही है, जबकि राकांपा 2002 से राज्य के चुनावी परिदृश्य में है।

महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया और इस गठबंधन को महाविकास अघाडी (एमवीए) नाम दिया गया। महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस से गठबंधन करने से पहले शिवसेना का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठजोड़ था।

शिवसेना और राकांपा ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि वे गोवा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे। 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए दोनों दल मिलकर 20 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।

शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को गोवा विधानसभा चुनावों के लिए नौ उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित की थी। उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि महाराष्ट्र में एमवीए मॉडल इस बार गोवा में दोहराया जाए, यही वजह है कि उन्होंने उस प्रस्ताव के साथ कांग्रेस से संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि हालांकि कांग्रेस ने शिवसेना-राकांपा के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की कोई इच्छा नहीं दिखायी है।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर भाजपा गोवा में सत्ता बरकरार रखती है, तो इसके लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उसने (कांग्रेस ने) दोनों दलों (शिवसेना और राकांपा) के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि 2007 में, राकांपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर गोवा विधानसभा चुनाव लड़ा था, जबकि शिवसेना ने हमेशा भाजपा के साथ गठबंधन के बिना अकेले राज्य में चुनाव लड़ा है।

वहीं, 2017 में राकांपा ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह सिर्फ एक सीट ही जीत सकी थी, जबकि 16 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। दूसरी ओर, शिवसेना ने उस समय तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी।

इसके साथ ही, 2017 में पहली बार गोवा के चुनाव मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी (आप) ने 39 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 38 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को 57,420 मत मिले थे और डाले गए कुल वैध मतों में उसकी हिस्सेदारी 6.27 प्रतिशत की थी।

राकांपा ने 2012 में सात सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीन सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन तीनों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी और पार्टी को सिर्फ 210 वोट मिले थे।

उस वर्ष, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। 2007 में, राकांपा ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था और उनमें से तीन पर जीत हासिल की थी। पार्टी के उम्मीदवार की एक सीट पर जमानत जब्त हो गई थी। शिवसेना ने सात उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उन सभी की जमानत जब्त हो गई थी।

भाषा अमित सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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