चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 18 या 21 साल करने का शिवसेना का सुझाव

चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 18 या 21 साल करने का शिवसेना का सुझाव

चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 18 या 21 साल करने का शिवसेना का सुझाव
Modified Date: December 9, 2025 / 06:28 pm IST
Published Date: December 9, 2025 6:28 pm IST

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) शिवसेना ने चुनाव प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता जताते हुए सभी चुनावों के लिए ‘एकल मतदाता सूची’ और ‘रिमोट वोटिंग’ का अधिकार सुनिश्चित करने की सरकार से मंगलवार को मांग की। उन्होंने चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र 18 साल या 21 साल करने का भी सुझाव दिया।

शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने चुनाव सुधारों को लेकर लोकसभा में जारी चर्चा के दौरान कहा कि चुनाव प्रक्रिया में व्यापक सुधार की आवश्यकता है और इसके लिए सरकार की ओर से किये जा रहे सभी प्रयास उचित दिशा में हैं और इनमें विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शामिल है।

उन्होंने चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 25 साल से घटाकर 18 या 21 साल करने का सुझाव दिया और कहा कि जब 18 साल की आयु प्राप्त करने के बाद मतदान का अधिकार प्राप्त हो जाता है तो फिर चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 18 साल या 21 साल करने में क्या दिक्कत है।

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उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’, सभी चुनावों के लिए ‘एकल मतदाता सूची’ और अपने मतदान केंद्र से दूर बैठे मतदाता को वहीं से मत डालने की व्यवस्था करने का भी सरकार को सुझाव दिया।

शिंदे ने चुनाव में धांधली के लिए पूर्व प्रधानमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी को दोषी ठहराये जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ‘‘जिस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सत्ता के लिए संविधान का गला घोट दिया, उसी पार्टी के लोग आज संविधान लेकर घूम रहे हैं और इसकी दुहाई दे रहे हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासनकाल में मतदान पेटियों में तेजाब डालकर मतपत्रों को नष्ट किया जाता था। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों को मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से इसलिए दिक्कत है, क्योंकि वे वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।

शिंदे ने कहा कि वह शिवसेना (उबाठा) के सदस्य का वक्तव्य सुन रहे थे। उन्होंने कहा कि जिन्होंने बाला साहब ठाकरे का वोट का अधिकार छीन लिया था, आज शिवसेना (उबाठा) के लोग उसी ओर बैठे हैं।

उन्होंने कहा कि घुसपैठियों को बाहर निकालने से इन राजनीतिक दलों को दिक्कत है क्योंकि उन्हें वोट बैंक की राजनीति करनी है।

सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सदस्य अरुण भारती ने भी कहा कि कांग्रेस के शासनकाल में ‘बूथ कैप्चरिंग’ आम बात थी। उन्होंने कहा कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार के दौरान राज्य में मतपत्र लूट की घटनाएं आम थीं।

उन्होंने संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को कथित तौर पर चुनाव में हराने के लिए तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व की आलोचना की और कहा कि बाबासाहेब के अपमान के कारण ही कांग्रेस अभिशप्त हो गयी है और वह बिहार में ‘एकल अंक’ में सिमट गयी है।

भाषा सुरेश वैभव

वैभव


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