सिंध का प्राचीन वाद्ययंत्र ‘बोरींडो’ यूनेस्कों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल

सिंध का प्राचीन वाद्ययंत्र ‘बोरींडो’ यूनेस्कों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल

सिंध का प्राचीन वाद्ययंत्र ‘बोरींडो’ यूनेस्कों की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल
Modified Date: December 9, 2025 / 05:00 pm IST
Published Date: December 9, 2025 5:00 pm IST

नयी दिल्ली , नौ दिसंबर (भाषा)पाकिस्तान के सिंध प्रांत का प्राचीन लोक संगीत वाद्ययंत्र बोरींडो और उसकी धुनें, पैराग्वे की प्राचीन चीनी मिट्टी की शिल्पकला और केन्या के दाईदा समुदाय के म्वाजिंडिका आध्यात्मिक नृत्य को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची (आईसीएच) में मंगलवार को शामिल किया गया, जिन्हें तत्काल संरक्षण की आवश्यकता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समिति द्वारा मंगलवार को नामांकनों पर विचार किया जा रहा है ताकि उन्हें आईसीएच में जगह दी जा सके।

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति (आईसीएच) का 20वां सत्र 8 से 13 दिसंबर तक यहां लाल किले में आयोजित किया जा रहा है।

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संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को)के एक अधिकारी ने बताया कि सूची में शामिल नयी प्रवृष्टियों में वियतनाम के डोंग हो लोक वुडब्लॉक प्रिंटिंग (लकड़ी पर चित्रकारी) बनाने की कला, पाकिस्तान से लुप्त हो रहे प्राचीन लोक संगीत वाद्ययंत्र बोरींडो और उसकी धुनें, ज्ञान और कौशल, तथा फिलीपीन के बोहोल द्वीप के बोहोलानो समुद्री नमक असिन तिबूक बनाने की प्रथा शामिल है।

विश्व निकाय ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट कर सूची में शामिल नयी प्रविष्टियों की जानकारी दी।

यूनेस्को ने कहा, ‘‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की तत्काल सुरक्षा सूची में नया नाम केन्या के डेडा समुदाय का म्वाजिंडिका आध्यात्मिक नृत्य।’’

विश्व निकाय ने एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘तत्काल संरक्षित की जाने वाली अमूर्त सांस्कृतिक विरासत में नया नाम पाकिस्तान का बोरींडो, प्राचीन लुप्त हो रहा लोक संगीत वाद्ययंत्र, इसकी धुन, ज्ञान और कौशल।’’

यह पहली बार है कि भारत यूनेस्को के किसी सत्र की मेजबानी कर रहा है।

पेरिस स्थित विश्व निकाय के अनुसार, समिति इस सत्र के दौरान यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने के लिए लगभग 80 देशों द्वारा प्राप्त ‘कुल 67 नामांकनों’ पर विचार करेगी।

यूनेस्को ने पोस्ट किया कि तत्काल संरक्षण की आवश्यकता वाली अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में अन्य नए नाम पनामा की आवास निर्माण शैली ‘क्विंचा हाउस और जुंटा डी एम्बारे/एम्बारा, पैराग्वे की पांरपरिक चीनी मिट्टी शिल्पकला नाइउपो कला, पुर्तगाल के एवेरो क्षेत्र की नौसैनिक बढ़ईगीरी कला मोलिसिरो नाव, तथा उज्बेकिस्तान की कोबीज शिल्पकला और वादन कला है।

यूनेस्को ने इसी के साथ अरब देशों की ‘बिष्ट’कला, बेलारूस में गोमेल क्षेत्र के वेतका जिले की ‘नेगलिबुका’ कपड़ा बुनाई परंपरा, अल्बानिया का लहुटा वाद्य यंत्र, उसका वादन और गायन को भी सूची में शामिल करने को हरी झंडी दे दी है।

भाषा धीरज नरेश

नरेश


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