बिल्कीस के समर्थन में पदयात्रा को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे हिरासत में

बिल्कीस के समर्थन में पदयात्रा को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे हिरासत में

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  • Publish Date - September 26, 2022 / 09:44 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

अहमदाबाद, 26 सितंबर (भाषा) रैमन मैगसायसाय पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे और अन्य को 2002 में हुए दंगों की पीड़िता बिल्कीस बानो के साथ एकजुटता व्यक्त करने के वास्ते बिना अनुमति के पदयात्रा निकालने के लिए सोमवार को राज्य के खेड़ा जिले के सेवलिया में हिरासत में ले लिया गया।

दाहोद जिले में स्थित बिल्कीस बानो के गांव रंधीकपुर से पदयात्रा निकालने की योजना बनाने के लिए पांडे और अन्य को पंचमहल पुलिस ने गोधरा में रविवार रात को हिरासत में ले लिया था। उन्हें सोमवार दोपहर को खेड़ा सीमा पर छोड़ा गया।

सेवलिया थाने के एक अधिकारी ने बताया, “ संदीप पांडे और 10 अन्य कार्यकर्ताओं को सोमवार शाम करीब चार बजे हिरासत में लिया गया। उन्हें बिना अनुमति के पदयात्रा शुरू करने के बाद हिरासत में ले लिया गया। वे अब भी हिरासत में हैं।”

कार्यकर्ताओं का दावा है कि सेवलिया में तीन स्थानीय लोगों को भी हिरासत में लिया गया, जिन्होंने उनके भोजन और रहने की व्यवस्था की थी।

उनके सहयोगी कलीम सिद्दीकी ने दावा किया, “ गोधरा में पांडे पदयात्रा की अनुमति के लिए अनशन पर बैठे थे।”

हिंदू मुस्लिम एकता समिति ने कहा कि पदयात्रा दाहोद जिले में रंधीकपुर गांव से अहमदाबाद में साबरमती आश्रम तक 26 सितंबर से चार अक्टूबर तक निकलनी थी। इसका मकसद बिल्कीस बाने से 2002 के अन्याय और दर्द एवं मामले के 11 दोषियों की जल्द रिहाई की वजह से हुई पीड़ा के लिए माफी मांगना था।

गोधरा कांड के बाद भड़के गुजरात दंगों के समय बिल्कीस बानो 21 साल की थीं और पांच माह की गर्भवती थीं। दंगों के दौरान तीन मार्च 2002 को उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था और उनकी तीन वर्ष की बेटी सहित उनके परिवार के सात लोग की हत्या कर दी गई थी।

समिति ने बयान में कहा कि बिल्कीस के साथ जो भी हुआ, उसके लिए तथा 15 अगस्त को सरकार की क्षमा नीति के तहत 11 दोषियों को रिहा करने को लेकर वे उनसे माफी मांगना चाहते थे।

बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में दोषी गोधरा उप-जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे।

मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गई थी और उच्चतम न्यायालय ने मुकदमे को महाराष्ट्र की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।

मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को बिल्कीस बानो से सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस सजा को बाद में बंबई उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा था।

गुजरात सरकार की ‘क्षमा नीति’ के तहत इस साल 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से 11 दोषियों की रिहाई ने जघन्य मामलों में इस तरह की राहत के मुद्दे पर बहस छेड़ दी है। रिहाई के समय दोषी जेल में 15 साल से अधिक समय काट चुके थे।

भाषा नोमान अविनाश

अविनाश