नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार को भारतीय इतिहास का तथ्य-आधारित शोध के माध्यम से ‘वस्तुपरक पुनर्मूल्यांकन’ करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि देश के इतिहास की चुनिंदा बातों और ऐतिहासिक तथ्यों को एक वैचारिक नजरिये से दोबारा बताने से उसका विकृत दृष्टिकोण सामने आएगा।
नायडू ने यह भी कहा कि इतिहास एक विशिष्ट विषय नहीं होना चाहिए, जिस पर ‘कुछ चुनिंदा लोगों’ का एकाधिकार हो।
उन्होंने कहा, “प्रामाणिक इतिहास का प्रवेश द्वार सभी के लिए खुला होना चाहिए। प्राचीन और मध्यकालीन युगों के साहित्यिक और ऐतिहासिक दस्तावेजों व स्रोतों के अनुवाद के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर काम किए जाने की जरूरत है।”
उप राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के स्वर्ण जयंती वर्ष के समापन समारोह में की।
उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को इतिहास के और गहन अध्ययन के लिए अधिक समय का निवेश करना चाहिए।
वेंकैया के मुताबिक, विश्वविद्यालयों को अनुसंधान करने और इतिहास के प्रामाणिक लेखन को मजबूत बनाने के लिए आईसीएचआर जैसे विशिष्ट निकायों के साथ साझेदारी करनी चाहिए।
भाषा पारुल दिलीप
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