‘प्रदूषण का अपराध बंद करें’: गंगा में मिलने वाली नदियों में अपशिष्ट जल छोड़ने पर अधिकरण ने कहा

‘प्रदूषण का अपराध बंद करें’: गंगा में मिलने वाली नदियों में अपशिष्ट जल छोड़ने पर अधिकरण ने कहा

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  • Publish Date - January 14, 2021 / 11:51 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने गंगा नदी में मिलने वाली अन्य नदियों में अपशिष्ट जल छोड़ने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगायी और कहा कि इसके कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि राज्य ‘प्रदूषण के अपराध’ को कैसे रोकना चाहता है।

हालात को ‘असंतोषजनक’ करार देते हुए अधिकरण के प्रमुख आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि रामगढ़ झील और गोरखपुर और उसके आसपास आमी, राप्ती और रोहिणी नदियों के प्रदूषण को रोकने के लिए उपचारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

समिति द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर हरित अधिकरण ने कहा कि बड़े पैमाने पर संबंधित अधिकारी अपने कर्तव्य पूरा करने से पीछे हट रहे हैं।

अधिकरण ने कहा, ‘‘अब समय आ गया है कि मुख्य सचिव स्वयं समय-समय पर इसकी निगरानी करें और अपशिष्ट जल और ओद्योगिक कचरे के नदी में मिलने, ठोस कचरा प्रबंधन और गंगा संरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें।’’

अधिकरण ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह आमी, राप्ती, रोहिणी, सरयू और घाघरा नदियों की संरक्षण योजनाओं के क्रियान्वयन पर ध्यान दें। उसने निर्देश दिया कि वह संरक्षण के लिए बजट और समय सीमा तय करे और संबंधित अधिकारियों और संस्थाओं को जिम्मेदार ठहराए।

पीठ ने कहा, ‘‘इन परियोजनाओं में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन से धन प्राप्ति के नाम पर देरी नहीं की जा सकती है।’’

भाषा अर्पणा उमा

उमा शाहिद

शाहिद