आईआईटी बॉम्बे की स्टडी रिपोर्ट-बड़ी कंपनियों के भी नमक शुद्ध नहीं,नमक के साथ प्लास्टिक खा रहे हैं आप

आईआईटी बॉम्बे की स्टडी रिपोर्ट-बड़ी कंपनियों के भी नमक शुद्ध नहीं,नमक के साथ प्लास्टिक खा रहे हैं आप

आईआईटी बॉम्बे की स्टडी रिपोर्ट-बड़ी कंपनियों के भी नमक शुद्ध नहीं,नमक के साथ प्लास्टिक खा रहे हैं आप
Modified Date: November 29, 2022 / 08:43 pm IST
Published Date: September 4, 2018 11:41 am IST

मुंबई। आईआईटी बॉम्बे की एक स्टडी रिपोर्ट से जाहिर हुआ है कि देश में मिलने वाले कई ब्रांडेड नमक में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के ऐसे कण होते हैं, जिनका आकार 5 मिलीमीटर से भी कम होता है। इनका निर्माण पर्यावरण में उत्पाद के धीरे-धीरे विघटन से होता है।

आईआईटी बॉम्बे के सेंटर फॉर नवायर्नमेंट साइंस एंड इंजीनियरिंग की एक टीम ने जांचे गए नमूनों में माइक्रो-प्लास्टिक के 626 कण पा हैं। स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि माइक्रोप्लास्टिक के 63 कण छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में थे। वहीं 37 प्रतिशत फाइबर के रूप में थे

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इस स्टडी के दौरान प्रति एक किलोग्राम नमक में 63.76 माइक्रोग्राम माइक्रोप्लास्टिक पा गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति प्रति दिन पांच ग्राम नमक लेता है तो एक साल में एक भारतीय 117 माइ्क्रोग्राम प्लास्टिक का सेवन करता है

कांटिमिनेशन ऑफ इंडियन सी साल्ट्स विथ माइक्रोप्लास्टिक्स एंड अ पोटेंशियल प्रिवेंशन स्ट्रेटजी’ नामक इस स्टडी रिपोर्ट को अमृतांशु श्रीवास्तव और चंदन कृष्ण सेठ ने संयुक्त रूप से लिखा है इसका प्रकाशन 25 अगस्त को ‘इन्वार्यन्मेंटल साइंस एंड पॉलूशन रिसर्चजर्नल में हुआ है। प्रोफेसर श्रीवास्तव ने दावा किया है कि साधारण नमक निष्पंदन तकनीक के जरिए 85 प्रतिशत माइक्रो-प्लास्टिक (वजन के हिसाब से) को खत्म किया जा सकता है

वेब डेस्क, IBC24


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