नयी दिल्ली, छह फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के विधि सेवा प्राधिकार के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जिला और राज्य कारागारों में बंद सजायाफ्ता कैदियों की सूचना समयपूर्व रिहाई के लिए जुटाएं। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही राज्य सरकार से इस संबंध में तय प्रावधानों का ‘‘कड़ाई से पालन’’ सुनिश्चित करने को कहा है।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि सजायाफ्ता कैदियों की समयपूर्व रिहाई के लिए पात्र होने के तीन महीने के भीतर उसके मामले का निपटारा हो जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के अलावा शीर्ष अदालत ने बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्य सरकारों को भी कैदियों की समयपूर्व रिहाई पर नजर रखने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चन्द्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे यह सूचना जिला विधि सेवा प्राधिकार (डीएलएसए) के सचिवों को भी उपलब्ध कराएं ताकि समयपूर्व रिहाई की प्रक्रिया ‘‘प्रभावी और पारदर्शी’’ तरीके से पूरी की जा सके।
पीठ को बताया गया था कि उत्तर प्रदेश में 2,228 सजायाफ्ता कैदी समयपूर्व रिहाई के लिए पात्र हैं।
भाषा अर्पणा अमित
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