नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा सरकार को उस व्यक्ति को सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया, जिसे 2018 में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देर से जमा करने में हुए विलंब के लिए बगैर किसी गलती के नौकरी से वंचित कर दिया गया था।
पीठ ने सरकार को 2018 में उनके स्थान पर नियुक्त उम्मीदवार की सेवा में खलल नहीं डालने का भी निर्देश दिया।
नरेंद्र सिंह राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के साथ जूनियर बेसिक ट्रेनिंग (जेबीटी) की नौकरी पर थे और सहायक प्रोफेसर के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए संबंधित अधिकारियों की ओर से एनओसी जमा करना आवश्यक था।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस बात पर गौर किया कि उनकी ओर से कोई देरी या कोई गलती नहीं की गई थी। इसके बाद पीठ ने संबंधित अधिकारियों को सिंह को नियुक्त करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘जो भी चूक /या देरी थी, वह अपीलकर्ता के नियोक्ता (जिला प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय) की ओर से थी, जिन्होंने 22 मार्च, 2016 को आवेदन करने के बावजूद एनओसी जारी नहीं की थी और यह छह जून, 2018 को जारी किया गया था और वह भी उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद … उन्हें बिना किसी गलती के दंडित नहीं किया जा सकता है।’’
पीठ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ सिंह की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी नियुक्ति के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था।
भाषा देवेंद्र अनूप
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