उच्चतम न्यायालय ने उप्र में दर्ज सभी मामलों में ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक जुबैर को अंतरिम जमानत दी |

उच्चतम न्यायालय ने उप्र में दर्ज सभी मामलों में ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक जुबैर को अंतरिम जमानत दी

उच्चतम न्यायालय ने उप्र में दर्ज सभी मामलों में ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक जुबैर को अंतरिम जमानत दी

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:13 PM IST, Published Date : July 20, 2022/8:37 pm IST

नयी दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले उनके ट्वीट को लेकर उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामलों में बुधवार को यह कहते हुए अंतरिम जमानत दे दी कि ‘‘गिरफ्तारी की शक्ति का इस्तेमाल बहुत ही संयम’’ के साथ किया जाना चाहिए।

इसके साथ ही न्यायालय ने जुबैर के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामलों को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘‘जुबैर को उसकी आजादी से वंचित रखने का कोई औचित्य उसे नजर नहीं आता’’ तथा इसने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को समाप्त करने का भी आदेश दिया।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने जुबैर को ट्वीट से रोकने संबंधी उत्तर प्रदेश सरकार की मांग यह कहते हुए खारिज कर दी कि क्या किसी वकील को (अदालत में) बहस करने से रोका जा सकता है।

लगभग दो घंटे से अधिक समय तक चली सुनवाई के बाद पारित लंबे आदेश में पीठ ने कहा, ‘‘एक पत्रकार को ट्वीट करने और लिखने से कैसे रोका जा सकता है? अगर वह ट्वीट कर किसी कानून का उल्लंघन करता है तो उस पर कानून के मुताबिक कार्रवाई की जा सकती है।’’

न्यायालय ने कहा, ”यह कानून का एक स्थापित सिद्धांत है, कि गिरफ्तारी की शक्ति के अस्तित्व को गिरफ्तारी की कवायद से अलग रखा जाना चाहिए और गिरफ्तारी की शक्ति का इस्तेमाल संयम के साथ किया जाना चाहिए।”

पीठ ने कहा कि जुबैर के साथ निष्पक्षता के लिए जरूरी है कि सभी प्राथमिकी की पूरी जांच एक साथ और एक ही जांच प्राधिकारी द्वारा की जानी चाहिए।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपों की गंभीरता उनके द्वारा किए गए ट्वीट से संबंधित है। उसने कहा, ‘‘रिकॉर्ड से पता चला है कि दिल्ली पुलिस द्वारा याचिकाकर्ता को निरंतर जांच के अधीन रखा गया है, हमें याचिकाकर्ता को उसकी स्वतंत्रता से और अधिक वंचित रखने का कोई कारण या औचित्य नजर नहीं आता।’’

शीर्ष अदालत ने विस्तृत आदेश को अपनी वेबसाइट पर अभी नहीं डाला है, बल्कि इसने केवल ऑपरेटिंग पार्ट ही अपलोड किया है।

पीठ ने कहा कि राजधानी की पटियाला हाउस अदालत में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष 20,000 रुपये का एक मुचलका (जमानत बॉण्ड) जमा करने के बाद जुबैर को उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी मामलों में अंतरिम जमानत पर रिहा किया जायेगा।

उसने कहा, ‘‘जमानत बांड जमा कराने के बाद, तिहाड़ जेल में अधीक्षक यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे कि याचिकाकर्ता को आज (बुधवार) शाम छह बजे तक न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया जाए।’’

उसने कहा कि दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा दर्ज प्राथमिकी की जांच उन अपराधों से संबंधित है, जिन्हें उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी में भी शामिल किया गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘इस प्रकार हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता की ओर से किये गये वैकल्पिक अनुरोध को स्वीकार किया जाना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज की गई सभी प्राथमिकी, जिसमें छह प्राथमिकी भी शामिल हैं, को जांच के लिए दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ को स्थानांतरित किया जाना चाहिए।’’

पीठ ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को समाप्त करने का निर्देश दिया।

उसने कहा कि अदालत उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई प्राथमिकी की जांच दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ को स्थानांतरित करने का निर्देश देने के लिए इच्छुक है।

उत्तर प्रदेश में जुबैर के खिलाफ कुल सात प्राथमिकियां दर्ज की गयी हैं, जिनमें दो हाथरस में और एक-एक सीतापुर, लखीमपुर खीरी, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और चंदौली पुलिस थाने में दर्ज की गई है।

भाषा

सुरेश पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)