राम जन्मभूमि मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनाएगा फैसला

राम जन्मभूमि मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनाएगा फैसला

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  • Publish Date - March 7, 2019 / 02:18 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:49 PM IST

नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े मुद्दे राम जन्मभूमि मामले में मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए शीघ्र ही मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने की मंशा जाहिर करते हुए फैसला अपने पास सुरक्षित रख लिया था। साथ ही सभी पक्षकारों को मध्यस्थता के लिए संभावित मध्यस्थों के नाम उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखे जाने पर संतों ने नाराजगी जाहिर कते हुए कहा था कि इस मामले को लटकाया जा रहा है। वहीं, बाबरी मस्जिद के पक्षकारों ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला उन्हें मंजूर होगा। राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत कमलनयन दास ने कहा, ‘मुस्लिमों से कतई कोई समझौता नहीं हो सकता है। भगवान राम हिंदुओं के आराध्य हैं। उन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

पिछली सुनवाई में ये हुआ
हिंदू महासभा ने कोर्ट में कहा कि इस केस को मध्यस्थता के लिए भेजा जाए इससे पहले नोटिस जरूरी है। यही कारण है कि हिंदू महासभा इसका विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि क्योंकि ये हमारी जमीन है इसलिए हम मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। जस्टिस भूषण ने कहा है कि इस मामले में अगर पब्लिक नोटिस दिया गया तो मामला वर्षों तक चलेगा, ये मध्यस्थता कोर्ट की निगरानी में होगी।

बाबरी मस्जिद पक्ष की ओर से राजीव धवन ने कहा कि कानूनी नजरिए से आर्बिट्रेशन और मीडिएशन में फर्क है, इसलिए आर्बिट्रेशन में कोर्ट की सहमति जरूरी है, बल्कि मध्यस्थता में ऐसा नहीं है। जस्टिस बोबडे ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर मध्यस्थता पर कुछ तय होता है, तो मामले को पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये मामला किसी पार्टी का नहीं बल्कि दो समुदाय के बीच का विवाद का है, इसलिए मामले को सिर्फ जमीन से नहीं जोड़ा जा सकता है।